मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, किसी की भविष्यवाणी पर नहीं होंगे तेलंगाना चुनाव

नई दिल्ली :तेलंगाना में भले ही TRS चीफ के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने विधानसभा भंग कर सियासी चाल चल दी हो पर चुनाव आयोग से उन्हें झटका लग सकता है। दरअसल, सूत्रों का कहना है कि तेलंगाना के कार्यवाहक मुख्यमंत्री केसीआर ने लोकसभा से पहले चुनाव कराने का फैसला किया, जिससे राज्य के चुनाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाई-वोल्टेज प्रचार का असर न हो। हालांकि चार राज्यों के साथ तेलंगाना चुनाव कराने की अटकलों के बीच मुख्य चुनाव आयोग ने अब स्थिति स्पष्ट कर दी है। शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने साफ कहा कि चार राज्यों के साथ तेलंगाना के चुनाव कराए जाएंगे, ऐसा बिल्कुल भी तय नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम इसका आकलन करेंगे कि क्या तेलंगाना के चुनाव चार अन्य राज्यों के साथ कराए जा सकते हैं या नहीं।' समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक रावत ने साफ कहा कि इस बारे में कानून में विशिष्ट रूप से कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था कि जब भी कोई हाउस भंग हो तो आयोग को उसका चुनाव पहली प्राथमिकता के आधार पर कराना चाहिए। कोर्ट का साफ कहना था कि जो सरकार अब कार्यवाहक सरकार बन गई है उसे अनावश्यक लाभ न मिले कि वह पूरे 6 महीने राज करती रहे। रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि तारीखों को लेकर किसी के द्वारा कोई भी ज्योतिषीय भविष्यवाणी की गई हो पर इसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेलंगाना में चुनाव अन्य चार राज्यों के साथ कराएं जाएंगे, ऐसा बिल्कुल भी तय नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'एक देश एक चुनाव' के तहत तेलंगाना में चुनाव लोकसभा के साथ अप्रैल-मई 2019 में वैसे भी होने थे। तेलंगाना चुनाव की तैयारियों पर CEC रावत ने कहा, 'सबसे पहले चुनाव आयोग तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से तैयारियों की जानकारी लेगा। उसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि चुनाव कब कराने हैं। इसके बाद आधिकारिक तौर पर ऑडिट किया जाएगा।' आपको बता दें कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में इस साल के आखिर में या 2019 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लिस्ट में तेलंगाना भी शामिल हो गया है।
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