शिवसेना ने भारत बंद का समर्थन वापस लिया

मुंबई बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना तेल कीमतों की बढ़ोतरी को लेकर केंद्र सरकार का मुखर विरोध कर रही है लेकिन वह कांग्रेस के भारत बंद में शामिल नहीं होगी। यह ऐलान रविवार को पार्टी की तरफ से किया गया। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि आखिर ऐसा क्या कि एक दिन पहले तक शिवसेना ने शहर भर में तेल कीमतों में बढ़त के खिलाफ पोस्टर लगाने के बाद अचानक बंद में शामिल न होने का फैसला किया। कारण? बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की एक कॉल। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, उनमें से कई लोगों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बंद में शामिल न होने की गुजारिश की थी लेकिन अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तरफ से कॉल आने के बाद पार्टी ने अपने स्टैंड में बदलाव किया। हालांकि कांग्रेस-एनसीपी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल होने के लिए शिवसेना से अपील की है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम गठबंधन सहयोगी पार्टियों (बीजेपी-शिवसेना) के लिए एक पैचअप की तरह देखा जा रहा है। अगर शिवसेना बंद में शामिल होने के लिए निर्णय लेती तो यह बीजेपी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की बात होती क्योंकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना से केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी के साथ गठबंधन में है। शिवसेना एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'अमित शाह की तरफ से फोन आया था। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी कॉल की थी। अब हमने खुले रूप से बंद को समर्थन न देने का निर्णय लिया है। हम खुद से ही पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और बीजेपी सरकार की नीतियों का मुखर विरोध भी कर रहे हैं।' क्या है नरमी की वजह? एक राजनीतिक विश्लेषक के आकलन के अनुसार, 'शिवसेना को राज्य के निगमों और एजेंसियों में काफी संख्या में बड़े पद मिले हैं। पार्टी बीजेपी के खिलाफ नरमी से पेश आने की यह भी एक वजह हो सकती है। इससे पहले जून में मातोश्री में अमित शाह के साथ उद्धव ठाकरे की मुलाकात के बाद दोनों पार्टियों के बीच तल्ख रिश्तों में नरमी देखी गई थी। सूत्रों के अनुसार, 'अगर दोनों के बीच मुनासिब सौदा होता है तो शिवसेना 2019 चुनाव में साथ चुनाव न लड़ने का फैसला वापस ले सकती है।' पार्टी का एक धड़ा नाखुश शिवसेना के पदाधिकारियों का एक समूह हालांकि पार्टी नेतृत्व के तेल कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ भारत बंद में शामिल होने के फैसले में बदलाव से नाखुश है। एक पदाधिकारी ने कहा, 'अगर कांग्रेस महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के साथ बंद को सफल करा ले जाती है तो बंद को लेकर शिवसेना का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। हड़ताल को समर्थन देने का यही सही समय था क्योंकि आम आदमी में तेल कीमतों में बढ़त को लेकर बड़े पैमाने पर नाराजगी है। पार्टी ने हड़ताल का मौका गंवा दिया जबकि इस समय लोहा गर्म है।' 'शिवसेना महाराष्ट्र में असली बंद सम्राट' शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि वह देखना चाहते है कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष का बंद कितना दूर जाता है। उन्होंने कहा, 'शिवसेना पिछले चार साल से महाराष्ट्र में असली विपक्ष के रूप में खड़ा रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष तो अभी जागा है। उन्हें हड़ताल करने दीजिए। जब आम आदमी के लिए सड़कों पर उतरने का समय आएगा तो शिवसेना दिखाएगी कि बंद कैसे किया जाता है। शिवसेना महाराष्ट्र में असली बंद सम्राट है।' वहीं एमएनएस ने बंद को अपना समर्थन दिया है और वह सक्रिय रूप से इसमें भाग लेगी। पार्टी के मुखिया राज ठाकरे ने रविवार सुबह इसे लेकर ट्वीट भी किया था। उन्होंने कहा, 'हमें इस तरह के ठोस कार्यान्वयन सुनिश्चित करने चाहिए और बंद को सफल बनाना चाहिए। ताकि दिल्ली में बैठी सरकार को अपनी गलतियों का अंदाजा हो।' 'शिवसेना के लिए सुनहरा वक्त था' कांग्रेस ने भी एमएनएस के समर्थन का स्वागत किया। संजय निरूपम ने कहा, 'हम खुश हैं कि एमएनएस ने हमें समर्थन दिया। यह आम आदमी का बंद है और ऐसी उम्मीद है कि आसमान छूते तेल के दामों से परेशान हर कोई इस बंद को समर्थन देगा। उद्धव ठाकरे के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को सबक सिखाने का यह सुनहरा मौका था। वे लोग अब बीजेपी के खिलाफ हैं और जो उनके खिलाफ है उसे अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए।' कांग्रेस के बंद 21 पार्टियों का समर्थन निरूपम ने यह भी कहा कि 27 मार्केट कमिटी ने भी बंद के समर्थन में आगे आए हैं। बता दें कि कांग्रेस के इस भारत बंद को 21 पार्टियों का समर्थन हासिल है। यहां तेल कीमतों में बढ़ोतरी का विरोध और इसे जीएसटी में दायरे की मांग की जा रही है। रविवार को मुंबई में पेट्रोल और डीजल के दाम 87.89 और 77.09 प्रति लीटर रहे।
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