क्रिकेट के तीन फॉर्मेट में से दो में दुनिया के नंबर- वन बल्लेबाज विराट कोहली अपने दृढ़संकल्प के सहारे लक्ष्य साधने में हमेशा आगे रहे हैं. दस साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने अब तक ऐसे कई कीर्तिमान अपने नाम किए हैं, जो उनके जज्बे को दर्शाता है. पिता के निधन के बावजूद वह अपने लक्ष्य पर अडिग रहे. कोहली ने जीवन के सबसे मुश्किल समय को फिर याद किया है.
29 साल के विराट ने नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर एक डॉक्यूमेंट्री में अपने जीवन के सबसे भावुक पल को याद किया. कोहली भावनात्मक रूप से कितने मजबूत हैं, उनकी इस क्षमता का पहला सबूत तब मिला, जब 16 साल के विराट पिता की मृत्यु के कुछ घंटे बाद ही मैदान पर टीम को हार से बचाने के लिए पहुंच गए थे.कोहली ने बताया, 'उस समय रात के 3 बजे थे, मैं 40 रन बनाकर रणजी मैच खेल रहा था, जो चार दिन का था. अगले दिन मुझे बल्लेबाजी करनी थी. उन्होंने (मेरे पिता ने) आखिरी सांस मेरी बाहों में ली. उस रात हमने काफी कोशिश की. हमें कोई सहायता नहीं मिल सकी. जब तक एंबुलेस आती, सब कुछ खत्म हो चुका था.'
विराट ने कहा, 'मुझे लगता है कि उनके (पिता) जाने के बाद मेरे जीवन में एकाग्रता और बढ़ गई. मैंने सिर्फ अपने और अपने पिता के सपने को सच करने में सारी ऊर्जा लगा दी.'
उल्लेखनीय है कि उस दौरान विराट दिल्ली और कर्नाटक के बीच जारी रणजी मैच खेल रहे थे. किसी को को उम्मीद नहीं थी कि पिता के निधन के अगले दिन कोहली बल्लेबाजी करने उतरेंगे. लेकिन कोहली ने न सिर्फ बल्लेबाजी की, बल्कि 90 रनों की पारी खेल कर मैच बचा लिया.
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