देहरादून :
गंगा नदी की सफाई के लिए 112 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे पर्यावरणविद प्रफेसर जीडी अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया। उन्हें स्वामी सानंद के नाम से जाना जाता था। सिर्फ सानंद ही नहीं, कई और संत भी गंगा नदी की सफाई और जल प्रदूषण के मुद्दे पर बलिदान दे चुके हैं। इससे पहले स्वामी निगमानंद और गोकुलानंद के निधन का मामला सामने आया था।
स्वामी सानंद
गंगा के लिए विशेष ऐक्ट बनाने की मांग कर रहे जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) ने सरकार को 9 अक्टूबर तक का समय दिया था। 87 साल के जीडी अग्रवाल ने 9 अक्टूबर तक मांग न पूरी होने के बाद 10 अक्टूबर से जल भी त्याग दिया था। बुधवार को प्रशासन ने उन्हें एम्स में भर्ती कराया था, जिसके बाद उनका निधन हो गया। डॉक्टरों ने मौत की वजह कमजोरी के कारण हुआ हार्ट अटैक बताया है।
स्वामी निगमानंद
गंगा की खातिर 114 दिन तक अनशन करते हुए इससे पहले स्वामी निगमानंद की भी मौत हुई थी। गंगा में खनन पर रोक लगाने की मांग को लेकर अनशन पर गए निगमानंद सरस्वती का 13 जून 2011 को देहरादून स्थित जौलीग्रांट अस्पताल में निधन हो गया था। हालांकि उनकी मौत को हत्या करार देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच भी की गई थी, लेकिन गंगा के लिए जान देने वाले निगमानंद की मृत्यु से अब तक पर्दा नहीं उठ सका है।
स्वामी गोकुलानंद
हरिद्वार के पास स्थित कनखल में 1998 में निगमानंद के साथ स्वामी गोकुलानंद ने भी क्रशर व खनन माफिया के खिलाफ अनशन शुरू किया था। अलग-अलग समय पर अनशन करने के बाद 2011 में निगमानंद की मृत्यु हो गई तो स्वामी गोकुलानंद ने मांग आगे बढ़ाते हुए अनशन किया। वर्ष 2013 में वह एकांतवास के लिए गए थे, जिसके बाद नैनीताल के बामनी में उनका शव मिला था। आरोप लगा था कि उन्हें जहर दिया गया था।
खास बात यह है कि गंगा नदी के लिए बलिदान देने वाले ये तीनों संत ही संस्था मातृसदन से जुड़े हैं। तीसरे संत के बलिदान के साथ यह संस्था गंगा के लिए जान देने वालों की पहचान बन गई है। 1998 में कनखल के जगजीतपुर में इसकी स्थापना के बाद से ही गंगा नदी की स्वच्छता व बेहतर स्थिति के लिए आवाज उठी थी। संस्था के परमाध्यक्ष शिवानंद सरस्वती कहते हैं कि मातृसदन गंगा के लिए हर तरह का बलिदान दे सकता है।
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments:
Post a Comment