कर्नाटक में 13 विधायकों का इस्तीफा

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार पर संकट बढ़ता जा रहा है. गठबंधन सरकार में से 13 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. इनमें से 11 विधायक मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं. इस्तीफा देने वाले विधायकों में 10 कांग्रेस और 3 जनता दल यूनाइटेड (जेडीएस) के हैं. इन विधायकों के इस्तीफे के कारण कर्नाटक विधानसभा के समीकरण पूरी तरह बदलते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, अभी तक इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए हैं, लेकिन बागी विधायकों के तेवर देखकर आशंकाओं के बादल गहराते जा रहे हैं. फिलहाल, जो समीकरण बन रहे हैं उनमें बीजेपी बहुमत के आंकड़े से महज एक कदम दूर नजर आ रही है. 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा का समीकरण बताता है कि अगर नाराज विधायक नहीं माने तो बीजेपी के लिए रास्ते बेहद आसान हो जाएंगे. ये है नंबर गेम कर्नाटक की 225 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन सरकार के पक्ष में 118 विधायक थे. यह संख्या बहुमत के लिए जरूरी 113 से पांच ज्यादा थी. इसमें कांग्रेस के 79 विधायक (विधानसभा अध्यक्ष सहित), जेडीएस के 37 और तीन अन्य विधायक शामिल रहे हैं. तीन अन्य विधायकों में एक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से, एक कर्नाटक प्रग्न्यवंथा जनता पार्टी (केपीजेपी) से और एक निर्दलीय विधायक है. विपक्ष में बैठी बीजेपी के पास 105 विधायक हैं. जेडीएस के 37 विधायक हैं और उसके 3 विधायकों ने इस्तीफा दिया है. अब उसके सदस्यों की संख्या 34 हो गई है. वहीं कांग्रेस के कुल 80 विधायक हो गए थे, जिनमें से 10 ने इस्तीफा दिया है (जिसमें आनंद सिंह का इस्तीफा भी शामिल है) तो उसके विधायक 70 हो गए हैं, जिसमें स्पीकर भी शामिल हैं. बसपा और निर्दलीय के एक-एक विधायक हैं. कांग्रेस और जेडीएस के मिलाकर अब 106 विधायक हैं, जिनमें बसपा और निर्दलीय विधायक भी शामिल है. यानी कांग्रेस-जेडीएस सरकार के पास बीजेपी से सिर्फ 1 विधायक अधिक है. फिलहाल बसपा और निर्दलीय विधायक का कहना है कि वे गठबंधन सरकार के साथ हैं. मौजूदा हालात में इन दोनों विधायकों की भूमिका अहम हो गई है. 224 विधायकों (स्पीकर के बिना) वाली कर्नाटक विधानसभा में 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद सदस्यों की संख्या 211 हो गई है. लेकिन स्पीकर उनका इस्तीफा मंजूर करने में वक्त ले सकते हैं. अगर स्पीकर इस्तीफा मंजूर करते हैं तो कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी और वह फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर पाएगी. राज्य विधानसभा का 10 दिवसीय मॉनसून सत्र 12 जुलाई से होना है, जिस दौरान मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राज्य के बजट को मंजूरी दी जानी है और लंबित विधेयकों व विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होनी है, जिसमें किसानों की कर्जमाफी, सूखा राहत कार्य और जल संकट शामिल हैं. गौरतलब है कि यह कोई लिखित प्रक्रिया नहीं है कि इस्तीफा देने के बाद उसे स्पीकर कितने वक्त में मंजूर करे. लेकिन मानदंड के मुताबिक यह जल्द से जल्द मंजूर होना चाहिए.
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