मोदी सरकार के बजट से किसे फायदा, किसे नुकसान? समझें पूरी थ्योरी

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार की दूसरी पारी का पहला बजट शुक्रवार को पेश किया है. यह बजट गांव, गरीब, किसान केंद्रित बताया जा रहा है. इसमें कॉरपोरेट जगत को कुछ राहत तो मिली है, लेकिन मध्यम वर्ग को खास फायदा नहीं मिला है. आइए जानते हैं कि बजट से आखिर कौन-सा सेक्टर फायदे में रहा और कौन नुकसान में... ये रहे फायदे में बजट से ग्रामीण भारत, सार्वजनिक बैंकों, मकान मालिकों आदि को फायदा हुआ है. ग्रामीण भारत बजट में ग्रामीण भारत के लिए कई घोषणाएं की गई हैं. सड़कों को नेटवर्क बढ़ाने से लेकर ज्यादा मकान बनाने तक. जीरो बजटिंग खेती से किसानों की आय दोगुना करने, 100 फीसदी घरों में बिजली पहुंचाने, हर घर तक जल पहुंचाने, पशु चारे जैसे छोटे कारोबार के लिए सहयोग जैसी कई घोषणाओं से ग्रामीण भारत के लिए यह फायदे वाला बजट है. सार्वजनिक बैंक वित्त मंत्री ने सार्वजनिक बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की घोषणा की है. इसके अलावा शैडो बैंक से कर्ज लेने पर लोन डिफॉल्ट पर गारंटी जैसे प्रावधान से भी बैंकों को मदद मिलेगी. रियल एस्टेट सेक्टर को कर्ज देने वाली गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों का रेगुलेशन रिजर्व बैंक को देना भी बैंकों को फायदा पहुंचाएगा, क्योंकि इस सेक्टर में डिफाल्ट की संभावना ज्यादा रहती है. किराएदार वित्त मंत्री ने एक मॉडल किराएदारी कानून लाने की बात की है. यह करोड़ों किरायेदारों के लिए काफी राहत की बात है. साल 2050 तक शहरों में करीब 87 करोड़ लोग रहने लगेंगे, जिसके हिसाब से ऐसा कानून स्वागतयोग्य है. रियल एस्टेट साल 2022 तक 1.95 करोड़ ग्रामीण मकान बनाने का लक्ष्य बजट में रखा गया है. इसके अलावा सड़कों और राजमार्गों के निर्माण पर भी फोकस होगा. इससे कई रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन कंपनियों को सीधे फायदा होगा. ये रहे नुकसान में बजट से ज्वैलर्स, सोने के आयातक, ऑटो सेक्टर, प्रतिरक्षा सेक्टर को नुकसान हुआ है. ज्वैलर्स, गोल्ड इम्पोर्टर सोने पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने की घोषणा के बाद ही शुक्रवार को ज्वैलरी कंपनियों के शेयर धड़ाम हो गए. घरेलू बाजार में सोना काफी महंगा हो गया. इससे ज्वैलरी और महंगी होगी और त्योहारी सीजन के पहले ऐसा होने ज्वैलर्स के लिए नुकसानदेह है. इससे सोने के आयात करने वालों का भी धंधा कमजोर होगा. प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा के आवंटन में फरवरी के अंतिम बजट के आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जो 3.05 लाख करोड़ रुपये का था. इसमें पिछले वर्ष की तुलना में बढ़त तो हुई है, लेकिन यह महंगाई की रफ्तार के साथ भी तालमेल नहीं करता. हाई और मिडिल इनकम ग्रुप बजट से धनी और मध्यम वर्ग को नुकसान ही हुआ है. 2 करोड़ से ज्यादा सालाना कमाई वालों पर टैक्स बढ़ा दिया गया है तो 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकद निकासी पर 2 फीसदी का टैक्स लगा दिया गया है. इसी तरह मध्यम वर्ग को टैक्स में कोई राहत नहीं मिली, उलटे डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए, जिससे महंगाई बढ़ जाएगी और मध्यम वर्ग पर इसकी चोट पड़ेगी. ऑटो इंडस्ट्री बजट में ऑटो पार्ट्स पर बेसिक कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई है. ऑटो सेक्टर पहले से ही हलकान चल रहा है, इससे उसको और चोट पड़ेगी. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की बात तो है, लेकिन इसका फायदा इतनी जल्दी नहीं मिलने वाला.
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