फायर ब्रांड नेता व पूर्व क्रिकेटर नवताेत सिंह सिद्धू ने पंजाब की राजनीति को एक बार फिर गर्मा दिया है। सिद्धू ने अपने इस्तीफे का खुलासा कर कांग्रेस के साथ-साथ पूरे राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। लेकिन सिद्धू के अपने इस्तीफे का खुलासा 34 दिन दिन बाद करने और इस्तीफा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को न देकर राहुल गांधी को भेजने पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि उन्होंने बाद में कहा कि इस्तीफा मुख्यमंत्री को भी भेज देंगे, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म है। पूरे प्रकरण को सिद्धू का हाईप्रोफाइल गेम माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि सिद्धू ने इसके माध्यम से कांग्रेस को दुविधा में डालने के साथ ही दबाव की राजनीति भी कर रहे हैं। सबकी नजर कैप्टन अमरिंदर सिंह के कदम और सिद्धू के अगले दांव पर लग गई है।
बता दें कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा विभाग में बदलाव किए जाने से नाराज नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा का ऐलान रविवार को किया था। उन्होंने अपना इस्तीफा 10 जून को राहुल गांधी को सौंपा था, लेकिन इसका खुलासा 14 जुलाई को किया। इस्तीफा भी राहुल को संबोधित करते हुए लिखा गया है जो सरकारी स्तर पर कोई मायने नहीं रखता है। हालांकि बाद में सिद्धू ने पुन: ट्वीट कर कहा कि वह अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भी भेज देंगे, लेकिन अब तक उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री के पास नहीं पहुंचा था।
बता दें 6 जून को मुख्यमंत्री द्वारा 13 मंत्रियों के विभाग बदले गए थे। सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग लेकर बिजली महकमा दे दिया गया था जिससे वह नाराज थे और नए विभाग का कार्यभार नहीं संभाला था । उन्होंने 9 जून को पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इस दौरान पार्टी की महासचिव प्रियंका भी मौजूद थीं। राहुल ने कैप्टन व सिद्धू के बीच विवाद को खत्म करने के लिए वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को जिम्मेदारी सौंपी थी।
सिद्धू ने अब खुलासा किया है कि उन्होंने राहुल को उसी दिन अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इस्तीफे में उन्होंने महज दो लाइनों में लिखा है कि वह पंजाब सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देते हैैं। इसके बाद से ही उन्होंने चुप्पी साध ली थी। न तो अपने विभाग की जिम्मेदारी संभाली और न ही पंजाब में पार्टी के किसी नेता और मंत्री के संपर्क में रहे।
इस बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब के तीन कैबिनेट मंत्री जरूर अहमद पटेल से मिले। लेकिन राहुल गांधी द्वारा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से ही पार्टी हाईकमान में लगातार खींचतान चल रही है। ऐसे में हाईकमान की तरफ से कोई भी सकारात्मक संकेत न मिलता देख सिद्धू ने अपना इस्तीफा ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट कर सार्वजनिक कर दिया।
राहुल को दिया इस्तीफा कोई मायने नहीं रखता
सरकारी स्तर पर देखा जाए तो सिद्धू द्वारा राहुल गांधी को दिया गया इस्तीफा कोई मायने नहीं रखता है। उन्हें अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को ही सौंपना पड़ेगा। वह राज्यपाल को भी अपना इस्तीफा भेज सकते हैं। दोनों ही सूरत में मुख्यमंत्री ही इस्तीफा मंजूर या नामंजूर करेंगे।
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