इस तरकीब से चीन को पछाड़ सकता है भारत- Loktantra Ki Buniyad

नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की हालत ठीक नहीं है. खासकर बैंकिंग सेक्टर पर बहुत ज्यादा दबाव है. पब्लिक सेक्टर बैंकों (Public Sector Banks) पर करीब 8 लाख करोड़ रुपये के NPA (Non Performing Assets) का बोझ है. इससे भी बुरी हालत NBFC ( नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) की है. बैंकों के पास पैसे नहीं हैं कि वे कॉरपोरेट को कर्ज दे सकें. इसलिए, रिजर्व बैंक लगातार रेपो रेट में कटौती कर रहा है. इस साल अब तक रेपो रेट में 75 प्वाइंट्स की कटौती की जा चुकी है. दूसरी तरफ सरकार छोटे-छोटे बैंकों के मर्जर का प्लान कर रही है, इससे उनका आकार बढ़ेगा और रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा होगी. अर्थव्यवस्था रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है, क्योंकि मांग कमजोर है. मध्यम वर्ग के पास पैसे नहीं हैं. शायद यही वजह है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत दयनीय हो गई है. ऑटो कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है. कई कंपनियों ने प्रोडक्शन रोक दिया है. मांग में 30-40 फीसदी तक कमी आई है. इसका असर इस सेक्टर में काम करने वाले लाखों लोगों पर दिख सकता है. मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में काम बंद होने से लाखों लोगों पर रोजगार के संकट हैं. 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का है लक्ष्य दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य अगले पांच सालों में भारतीय अर्थव्यवस्थ को 5 ट्रिलियन डॉलर (5 Trillio dollar economy) बनाने की है. अगर इस लक्ष्य को हासिल करना है तो विकास की दर का दहाई अंकों में पहुंचना जरूरी है. विकास की रफ्तार दहाई अंक में पहुंचे इसके लिए जरूरी है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से विकास हो. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विकास में तेजी लाने के लिए MSME और SME सेक्टर का मजबूत होना बेहद जरूरी है, और भारत की सबसे बड़ी यही चुनौती है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद इस सेक्टर में आशा के अनुरूप विकास नहीं हो पा रहा है.चीन की अर्थव्यवस्था में छोटी कंपनियों का बड़ा योगदान चीन की अर्थव्यवस्था (Chinese Economy) मजबूत है क्योंकि, छोटी कंपनियों का योगदान इनमें 60 फीसदी तक है. 80 फीसदी रोजगार ये छोटी कंपनियां दे रही हैं. वहां की सरकारी रिपोर्ट में भी अब इस बात पर जोर दी गई है कि सरकारी बैंक छोटी कंपनियों को ज्यादा लोन देना शुरू करे. अब तक इन कंपनियों में से केवल 20 फीसदी को ही लोन मिल पाता था. लेकिन, MyBank ने सभी को लोन दिया और अब ये कंपनियां तेजी से विकास कर अर्थव्यवस्था में सहयोग दे रही हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि MSME और SME की वजह से ही चीन की अर्थव्यवस्था लगातार आगे बढ़ रही है.
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