RTI संशोधन बिल पर समूचा विपक्ष लामबंद, सोनिया ने कहा- छिन जाएगा नागरिकों का हक- Loktantra Ki Buniyad

नई दिल्ली। लोकसभा में बहुमत के दम पर सूचना का अधिकार कानून में संशोधन करने संबंधी बिल पारित कराने के सरकार के रुख से नाराज विपक्ष ने राज्यसभा में इसका तगड़ा विरोध करने का फैसला कर लिया है। तमाम विपक्षी पार्टियों के साथ अब तक सरकार के मित्र दल की भूमिका में रहे बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने भी आरटीआइ संशोधन बिल के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए इसे सेलेक्ट कमिटी में भेजने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने कहा है कि इस संशोधन बिल के जरिये सरकार ऐतिहासिक आरटीआइ कानून को ध्वस्त करने पर आमादा है। उन्होंने सरकार के कदम को नागरिकों से उनका हक छीनने जैसा करार दिया है। आरटीआइ संशोधन बिल लोकसभा में सोमवार को विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद पारित हो गया। विपक्ष का साफ कहना है कि आरटीआइ कानून को कमजोर कर सूचना हासिल करने को ज्यादा मुश्किल बनाने के लिए संशोधन बिल लाया गया है। इसीलिए विपक्ष ने आरटीआइ संशोधन बिल को राज्यसभा की सेलेक्ट कमिटी को भेजने की संयुक्त रणनीति बनाई है। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राजद, एनसीपी समेत 16 पार्टियों के सांसदों ने आरटीआइ संशोधन बिल को सेलेक्ट कमिटी में भेजने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। विपक्ष सूचना आयुक्तों के वेतन-भत्ते और सेवा शर्ते तय करने का अधिकार केंद्र सरकार को देने संबंधी संशोधनों से असहमत है। उसके अनुसार ऐसा हुआ तो फिर सूचना आयोग और आयुक्तों की स्वतंत्रता छिन जाएगी। आरटीआई संशोधन बिल लोकसभा से पारित होने के बाद सरकार बुधवार को राज्यसभा में पेश करने की तैयारी में है। राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने आरटीआई संशोधन बिल को सेलेक्ट कमिटी में भेजे जाने की विपक्षी दलों में बनी आम राय की पुष्टि करते हुए कहा कि टीआरएस और बीजद भी इसके पक्ष में हैं। आरटीआइ संशोधन बिल के खिलाफ लामबंद होने के साथ ही विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों में संसदीय नियमों और परंपराओं की अनदेखी को लेकर भी सरकार से अब मोर्चा लेने का इरादा तय कर लिया है। सरकार की घेरेबंदी के लिए बुधवार को बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में इन तमाम मसलों पर संयुक्त रणनीति बनाई जाएगी। बिल को सेलेक्ट कमिटी में भेजने के पक्ष में विपक्षी दलों का तर्क है कि सरकार ने किसी एक बिल का भी विधायी अध्ययन कराए बिना आनन-फानन में इस सत्र में 12 बिल पारित कर लिए हैं। डेरेक ने कहा भी कि संसदीय समितियों की अनदेखी के मामले में एनडीए सरकार का ट्रैक रिकार्ड सबसे खराब है। बीते चार लोकसभा का रिकार्ड देते हुए उन्होंने कहा कि 14वीं लोकसभा में 60 फीसद बिल विधायी अध्ययन के लिए भेजे गए तो 15वीं में यह आंकड़ा 71 फीसद रहा। वहीं पिछली 16वीं लोकसभा में केवल 26 फीसद बिल विधायी अध्ययन के लिए भेजे गए और मौजूदा 17वीं लोकसभा में यह आंकड़ा अभी शून्य पर ही है। यूपीए सरकार में आरटीआइ कानून बनाने की मुख्य सूत्रधार रहीं सोनिया गांधी ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि बड़े व्यापक विचार विमर्श के बाद सर्वसम्मति से संसद से पारित यह ऐतिहासिक कानून खत्म होने के कगार पर है। सोनिया गांधी के मुताबिक 60 लाख से अधिक आम नागरिक अब तक आरटीआइ का उपयोग कर चुके हैं जिसकी वजह से सरकार-प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता की नई संस्कृति की शुरूआत हुई है। इसका फायदा समाज के कमजोर वर्गो के लोगों को ज्यादा मिला है। सोनिया ने कहा है कि भले सरकार बहुमत के बूते इस कानून में बदलाव का अपना मकसद हासिल कर ले मगर इस प्रक्रिया में हर एक नागरिक का यह ताकतवर अधिकार छिन जाएगा।
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