फोन पर फ्रॉड, सरकार ने कंपनियों से मांगे मोबाइल के यूनीक कोड- Loktantra Ki Buniyad


मुंबई: डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन (DoT) ने देश में हैंडसेट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से डिवाइसेज (मोबाइल और अन्य) के यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर अगले दो महीनों में सरकार को मुहैया कराने का आदेश दिया है। DoT के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'हमने सुरक्षा के उद्देश्य से देश में फोन बनाने वाली भारतीय और विदेशी फर्मों से फोन के यूनीक कोड अगले दो महीनों में देने को कहा है।' उन्होंने बताया, 'हैंडसेट कंपनियां भी इससे सहमत हैं, क्योंकि इससे फोन पर होने वाले फ्रॉड पर रोक लगेगी।' यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर 15 अंकों का होता है, जिसे इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (IMEI) कहा जाता है। जब यूजर कॉल करता है, तब रेकॉर्ड में फोन नंबर के साथ डिवाइस का IMEI भी दर्ज होता है। हर डिवाइस का यूनीक कोड ग्लोबल इंडस्ट्री बॉडी GSMA तय करती है। इसी महीने केंद्र सरकार ने एक पोर्टल लॉन्च किया था, जिस पर गायब या चोरी हुए मोबाइल फोन का पता लगाया जा सकता है। इसे मुंबई से कंट्रोल किया जाता है। सायबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने बताया, 'मैन्युफैक्चरिंग के समय ही सरकार को IMEI नंबर देने से देश में मोबाइल से जुड़े अपराधों पर लगाम कसने में मदद मिलेगी। प्रॉडक्शन के समय रजिस्ट्रेशन कराने से यूजर्स की प्रिवेसी पर असर नहीं पड़ेगा।' उन्होंने बताया, 'इससे सरकार को नागरिकों को मोबाइल फ्रॉड और स्कैम से बचाने में मदद मिलेगी।' IMEI नंबर से ट्रेस हो सकेगा फोन IMEI नंबर से DoT पता लगा सकता है कि फोन का इस्तेमाल कहां हो रहा है। किसी तरह की संदिग्ध गतिविधि होने पर फोन को ब्लॉक या ट्रेस किया जा सकता है। फोन चोरी या गायब होने पर DoT उसे ब्लॉक कर सकता है। अगर फोन में नया सिम लगाकर कॉल की जाती है, तो टेलिकॉम कंपनी डिपार्टमेंट को नए कॉलर की जानकारी देगी। इसके बाद DoT उस फोन को ट्रेस कर पाएगा। अधिकारी ने बताया, 'फिलहाल हमारे पास देश में आयात होने वाले सभी फोन की जानकारी होती है। टेलिकॉम विभाग और कस्टम डिपार्टमेंट इन हैंडसेट के IMEI नंबर रेकॉर्ड करते हैं। अब हम घरेलू मैन्युफैक्चरर्स से भी कोड की मांग कर रहे हैं।'दो साल से IMEI के डेटाबेस रजिस्टर पर काम कर रहा डिपार्टमेंट DoT पिछले दो साल से IMEI के डेटाबेस सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) पर काम कर रहा है। उसने इसमें हैंडसेट कंपनियों की भागीदारी की मांग की है। हर फोन का IMEI नंबर अनोखा होता है, जो प्रोग्राम कर डाला जाता है। फ्रॉड करने वाले नकली फोन तैयार करते समय IMEI कॉपी करते हैं। सरकार के पास सभी फोन का डेटा होने से कोई भी IMEI दोबारा सामने आने पर नकली फोन की पहचान हो सकती है।
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