महंगे क्रूड से बिगड़ेगा आम आदमी का बजट- loktantra Ki Buniyad

रियाद. दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको (Saudi Aramco) के दो प्लांट पर यमन के हूती लड़ाकों ने शनिवार को ड्रोन से हमला कर दिया. इससे सऊदी अरब में कच्चे तेल (Crude Oil) का उत्पादन 50 फीसदी घट गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह ग्लोबल प्रोडक्शन (Global Crude Oil Production) का 5 फीसदी है. हमले से पहले सऊदी अरब (Saudi Arabia) करीब 100 लाख बैरल प्रति दिन उत्पादन कर रहा था. अब यह घटकर 50 लाख बैरल रह गया है. इसी वजह से सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 28 साल की सबसे बड़ी तेजी आई है. सऊदी अरब का कहना है कि जल्द हालात काबू में होंगे और उत्पादन फिर से पुराने स्तर पर पहुंच जाएगा. आपको बता दें कि कच्चा तेल महंगा होने से भारत का आयात बिल और व्यापार घाटा भी बढ़ेगा. कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर के इजाफे से भारत पर सालाना 10,700 करोड़ रुपये का असर पड़ता है. अब क्या होगा- न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब में 30 दिन में स्थिति सामान्य नहीं होती तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है. 7 दिन सप्लाई रुक गई तो कच्चा तेल 15 डॉलर से 20 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो सकता है. (1) महंगे क्रूड से देश की अर्थव्यवस्था पर होगा असर- ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी नोमुरा के अनुमान के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से भारत के राजकोषीय घाटे और करंट अकाउंट बैलेंस पर असर होता है.मतलब साफ है कि महंगे क्रूड से जीडीपी पर 0.10 से 0.40 फीसदी तक का बोझ बढ़ जाता है. सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा था कि तेल की कीमतों में $10 प्रति बैरल की वृद्धि जीडीपी ग्रोथ को 0.2 से 0.3 प्रतिशत नीचे ला सकती है. वर्तमान में करंट अकाउंट डेफिसिट 9 से 10 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है.
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