लखनऊ: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले राज्य भर में उचित कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए यूपी पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है। यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया पर संदेशों की बारीकी से निगरानी करने, विभिन्न मस्जिदों / मंदिरों के मौलवियों और पुजारियों (पुजारियों) के साथ नियमित संपर्क बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए हैं।पुलिस सार्वजनिक स्थलों, दीवारों पर लगाए जाने वाले पोस्टरों, लिखे जाने वाले नारों पर भी निगाह रखे है। इसके अलावा जमीनी स्तर पर दोनों समुदायों के जिम्मेदार लोगों की सूची भी तैयार की जा रही है। राज्य सरकार ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कहा है कि 30 नवंबर तक पुलिसकर्मियों को बहुत जरूरी होने पर ही छुट्टी दी जाए, अन्यथा नहीं।
पीस कमिटी की बैठकें
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स से कहा, 'पुलिस थानों पर नियमित रूप से पीस कमिटी की बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इन कमिटियों में दोनों ही समुदायों के प्रभावशाली व्यक्ति होते हैं।' सूत्रों का कहना है कि पुलिस के पास सबसे जरूरी काम है अलग-अलग सोशल मीडिया मेसेजों पर लगातार निगरानी में रखना। यूपी पुलिस के एक अन्य सूत्र ने बताया, 'हमने लगभग हर पुलिस स्टेशन में डिजिटल स्वयंसेवकों का एक समूह बनाया है। ये स्वयंसेवक, जो समाज के विभिन्न वर्गों से हैं, अपने संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न वॉट्सऐप ग्रुपों में मौजूद हैं। ये स्वयंसेवक अपने थानों के अधिकारियों को ऐसे संदेशों की सूचना देते हैं जो कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ सकते हैं।'
सुबह होने वाली गश्त
पुलिस तड़के सुबह होने वाली गश्त भी लगा रही है। एक अन्य सूत्र ने कहा, 'ऐसा असामाजिक तत्वों द्वारा आपत्तिजनक पोस्टर / नारे लगाने से शांति भंग करने की संभावना को रोकने के लिए किया जा रहा है।' यहां तक कि एसपी और सीओ सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी सुबह के समय नियमित गश्त सुनिश्चित करने के लिए पुलिस थानों के संपर्क में रहते हैं।
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अयोध्या मामला: कोर्ट के फैसले के मद्देनजर हाई अलर्ट पर यूपी पुलिस- Loktantra Ki Buniyad
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