मिशन सऊदी पर पीएम मोदी, बताया- रणनीति और तेल के लिहाज से क्यों अहम है दौरा- Loktantra KI Buniyad

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार देर रात सऊदी अरब पहुंचे. यहां प्रधानमंत्री को सऊदी किंग और क्राउन प्रिंस से मुलाकात करनी है, इस दौरान भारत-सऊदी अरब के बीच कई करार होंगे. अपने दौरे से पहले प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब के अरब न्यूज़ को इंटरव्यू दिया, जिसमें दोनों देशों के बारे में बात की. पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की मदद से विकास को रफ्तार दे रहे हैं, उन्होंने कहा कि सऊदी किंग का भारत के विकास में अहम रोल है. पीएम मोदी ने इस दौरान तेल कीमतों पर भी बात की. अरब न्यूज़ को दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू का कुछ अंश... सवाल: क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ आप कई बार मिल चुके हैं, आप दोनों में किस प्रकार की केमेस्ट्री है? जवाब: 2016 में सऊदी अरब के पहले दौरे के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते काफी अच्छे हुए हैं. वह खुद क्राउन प्रिंस से पांच बार मिल चुके हैं. मुझे उम्मीद है कि उनकी अगुवाई में भारत और सऊदी अरब के रिश्ते और भी मजबूत होंगे.सवाल: भारत-सऊदी अरब ने 2010 में रियाद डेक्लेयरेशन पर साइन किया, उसपर अभी तक क्या हुआ? जवाब: हमारी सरकार की नीति में पड़ोसी पहले को आगे रखा गया है, भारत के लिए सऊदी अरब के साथ संबंध काफी अहम हैं. 2014 में मोहम्मद बिन सलमान का दौरा, 2016 में मेरा यहां आना और उसके बाद इस बार फरवरी का दौरा, इस रिश्ते को आगे बढ़ा रहा है.इस दौरे के दौरान सऊदी अरब और हमारे बीच स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल को लेकर करार होना है, जो एक नया इतिहास रचेगा. इसमें ट्रेड, इन्वेस्टमेंट, सुरक्षा, रक्षा समेत अन्य क्षेत्रों को लेकर करार भी शामिल हैं.सवाल: दोनों देशों के बीच सुरक्षा के मुद्दे पर कुछ करार की संभावना है? जवाब: भारत और सऊदी अरब एशिया की दो महाशक्ति हैं. आतंकवाद के खिलाफ दोनों देश लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं, सुरक्षा के मसले पर दोनों की चिंताएं एक हैं. मेरे से पहले हमारे देश के NSA ने भी रियाद का दौरा किया था. प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने डिफेंस कॉर्पोरेशन ज्वाइंट कमेटी बनाई है, जिसमें लगातार कई मुद्दों पर चर्चा होती है. सुरक्षा के मसले पर दोनों देशों के बीच डिफेंस इंडस्ट्री को लेकर समझौता हो सकता है.सवाल: मिडिल ईस्ट में इन दिनों काफी चिंताएं चल रही हैं, ऐसे में भारत इसमें क्या रोल अदा कर सकता है? जवाब: भारत की सोच है कि एक बैलेंस के साथ ये मुद्दे सुलझ सकते हैं, लेकिन हम किसी भी देश की स्वायत्ता का समर्थन करते हैं और किसी के आंतरिक मसले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. मिडिल ईस्ट के सभी देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं. सवाल: भारत और सऊदी अरब G20 का हिस्सा हैं, दुनिया की इकोनॉमी के बारे में आप क्या कहेंगे? जवाब: ग्लोबल इकॉनोमी हाल के दिनों में विकासशील देशों पर काफी निर्भर करती है. मैंने अपने UN स्पीच में कहा था कि हमें एक साथ मिलकर प्रयास करने की जरूरत है. इकॉनोमिक अनिश्चितता ट्रेड सिस्टम की वजह से दिक्कतें पैदा करती हैं. G20 में भारत-सऊदी अरब भी है, जो इस बात के पक्षधर हैं कि ट्रेड सिस्टम में असमानता दूर की जाए. 2022 में भारत G20 को होस्ट करेगा. सवाल: पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत और सऊदी अरब जैसे देश कैसे ग्लोबल इकॉनोमी में अपनी हिस्सेदारी कर सकते हैं? जवाब: भारत ने अपने देश में बिज़नेस फ्रेंडली माहौल बनाने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं, जिसकी वजह से काफी फायदा हुआ है. ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में भारत की स्थिति भी काफी सुधरी है. इसके अलावा मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसी स्कीम के जरिए युवाओं को मौका मिल रहा है और इसमें विदेशी निवेशक भी हिस्सा ले सकते हैं. सवाल: सऊदी अरब भारत में बड़ा तेल स्पालयर है. तेल के कम दाम भारत के लिए बढ़िया खबर है, ऐसे में सऊदी अरब और भारत का आगे का रोल इस क्षेत्र में कैसा होगा? जवाब: भारत अपना करीब 18 फीसदी तेल सऊदी अरब से लेता है. अब हम इसमें बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं, जिसमें गैस और तेल के प्रोजेक्ट में निवेश भी शामिल होगा. एनर्जी के क्षेत्र में सऊदी के रोल का हम सम्मान करते हैं, हमें उम्मीद है कि तेल के दामों का स्थिर रहना ग्लोबल इकॉनोमी को बूस्ट दे सकता है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरामाको अब भारत में भी नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने इस दौरान भारत में बन रही स्मार्ट सिटी में सऊदी अरब के रोल, 100 बिलियन डॉलर के निवेश के प्रस्ताव पर चर्चा की. इस दौरे में सऊदी अरब में रूपे कार्ड को लॉन्च किया जाएगा, इसके साथ ही ई माइग्रेट पर भी फैसला संभव है.
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment