ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश पूजन की तैयारी- Loktantra Ki buniyad

"आज पूरे देश में धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। धनतेरस से शुरू होने वाला यह त्योहार भाई दूज तक चलता है। दिवाली के दिन सभी लोग मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और इन्द्र देव का पूरे विधि विधान के साथ पूजन, अर्चन व स्तवन कर उनका आह्वान करते हैं और उनसे बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि माता लक्ष्मी दिवाली के दिन पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं इसलिए सभी भक्त अपने घरों को सजाते हैं और दीपक जलाते हैं। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहे इसके लिए लक्ष्मी-गणेश पूजन से पहले इन चीजों का जरूर ध्यान रखें…मुख्य कक्ष में करें पूजापूजा स्थल घर के मुख्य कक्ष में सजाया जाता है। पूजन से पहले लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए मुख्य द्वार पर रोशनी जरूरी है।इस तरह करें गणेश-लक्ष्मी पूजन की तैयारी, पहले मंगा लें यह सामग्रीऐसे स्थापित करें प्रतिमाएंएक चौकी या पाटे पर लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। लक्ष्मी जी की प्रतिमा गणेश जी के दायीं ओर रखें। इसके साथ नए-पुराने श्री यंत्र, कुबेर यंत्र और चांदी के सिक्के भी रख लें।यूं सजाएं थालीरोली-मोली, चावल, केसर, इत्र, कपूर, धूप, घी का दीपक, खील-बताशे, खांड के खिलौने, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, लाल फूलों की माला खासकर कमल के फूल से थाली सजाएं। कुछ खुले फूल भी रख लें।यूं ही नहीं कहलाता महापर्व: जानिए धनतेरस से लेकर भैयादूज तक का महत्वपहले गणेश पूजनगणेश विवेक के देवता हैं तो लक्ष्मी संपदा की देवी। संपत्तिवान की अपेक्षा विवेकवान होना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसे में पहले गणेश पूजन करें। यह जरूरी है कि धन का उपार्जन न्याय नीति के आधार पर हो और उसका उपयोग भी विवेकशीलता से हो।फलदायक है महानिशा साधनालक्ष्मी जी का वाहन उल्लू है। वह रात में ही देख सकता है। ऐसे में उस पर सवार होकर लक्ष्मी रात्रि में ही भ्रमण करती हैं। इसी कारण ब्रह्मांड पुराण में महानिशीथ काल की लक्ष्मी पूजा को विशेष फलदायिनी कहा गया है। इससे आर्थिक संकट दूर होते हैं।जानिए किस देश में होती है माता लक्ष्‍मी की किस रूप में पूजाजानना है जरूरीगलत ढंग से कमाई और गलत तरीके से खर्च करने पर लक्ष्मी जी की प्रसन्नता का लाभ नहीं मिलता। धन का दुरुपयोग और पाप कर्मों पर व्यय से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती हैं। महाभारत के ग्यारहवें अध्याय में लक्ष्मी स्वयं रुक्मिणी से कहती हैं – मेरा निवास धर्मपरायण, निर्भीक, चतुर, क्षमाशील, कर्मठ, आत्मविश्वासी, अतिथि और वृद्धजनों की सेवा करने वाले गृहस्थ के यहां होता है।लक्ष्मी पूजन के अलावा दिवाली की रात जादू-टोने, ये सब चलता है पूरी रात"
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