BHU विवाद पर गोरखपुर यूनिवर्सिटी में 32 साल संस्कृत पढ़ाने वाले असहाब अली बोले- टीचर को क्लास के अन्दर करें जज

गोरखपुर. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिरोज खान (Dr. Feroz Khan) की नियुक्ति को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है. मामले में छात्र लगातार धरने पर हैं, वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन मामले में कोई निर्णय नहीं ले सका है. उधर इसी मसले पर News18 ने गोरखपुर के पंडित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर (DDU University Gorakhpur) में 32 सालों से अधिक समय तक संस्कृत पढ़ाने वाले और संस्कृत विभाग के एचओडी रह चुके प्रोफेसर असहाब अली (Professor Ashab Ali) की राय जानी. बता दें प्रोफेसर असहाब अली 2011 के जून महीने में रिटायर हुए हैं. प्रो असहाब अली का कहना है कि बीएचयू में जो छात्र विरोध कर रहे हैं, वो गलत कर रहे हैं. किसी भी अध्यापक को क्लास के अंदर जज किया जाता है न कि बाहर. जाति, धर्म और मजहब के हिसाब से जज करना तो बिल्कुल गलत है. 'मैं दाढ़ी के साथ संस्कृत वाला ही हूं' बता दें प्रोफेसर असहाब अली ने इंटरमीडिएट परीक्षा में संस्कृत में टॉप किया था, इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन संस्कृत में किया और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन में उनका स्पेशलाइजेशन वेदों पर रहा है. पीएचडी उन्होने वैदिक और इस्लामिक मिथकों के तुलनात्मक अध्यन पर किया है. प्रोफेसर असहाब अली मूल रूप से महराजगंज के जमुनिया गांव के रहने वाले हैं.गोरखपुर विश्वविद्यालय में वो 1973 से ही रिसर्च के दौरान छाऋो्रं को पढ़ाने लगे थे. 1977 में उनको नियुक्ति मिल गई. तब से लेकर 2011 तक वह विश्वविद्यालय में छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देते रहे. रिटायरमेंट के समय प्रोफेसर असहाब संस्कृत विभाग के एचओडी थे. उन्होंने एक वाकया याद करते हुए कहा कि एक बार वो सिबली कॉलेज में सिलेक्शन के लिए गये थे. तब वहां पर किसी ने कहा कि संस्कृत के लिए सिलेक्शन करना है न कि फारसी के लिए. तब असहाब अली ने हाजिर जवाबी में कहा कि मैं दाढ़ी के साथ संस्कृत वाला ही हूं. प्रोफेसर असहाब अली संस्कृत को वैश्विक भाषा बताते हैं. वह बीएचयू में हुए बवाल पर कहते हैं कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं वो लोग अपने भविष्य के लिए भी, संस्कृत के लिए भी और देश के लिए भी कुठाराघात कर रहे हैं. उनको ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्होंने अपील की कि अपने, संस्कृत और देश के हित में विरोध को वापस ले लें और क्लास में जाकर देखें कि जिसको आप भगाना चाहते हैं वो किस कैलिबर का आदमी है? साथ ही उन्होंने कहा कि उनके विद्यार्थी जीवन में और उनके टीचर रहते हुए कभी भी ऐसी बात नहीं आई कि मुसलमान संस्कृत से जुड़ा हुआ है तो एक बुरी बात हो गयी. बल्कि इसमें मुझको प्रोत्साहित ही किया जाता रहा है. वह कहते हैं कि लोग मुझे उत्साहित करते थे और ये उत्साहवर्द्धन तब और हुआ जब मैं अध्यापक हो गया. विवि में 6 साल तक असिस्टेंट प्रॉक्टर रहा. विवि के सभी अध्यापकों को मैं जानता था. सबसे मित्रवत और बड़े लोगों से मैं गुरुवत मिलता था.
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