अयोध्‍या: चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच असमंजस है रामलला की नगरी में

अयोध्या धार्मिक नगरी अयोध्‍या में कार्तिक पूर्णिमा का मेला शुरू हो गया है। अनुमान है कि मंगलवार को करीब 10 लाख श्रद्धालु यहां पहुंच कर 14 कोसी परिक्रमा नंगे पैर चल कर पूरी करेंगे। रविवार को पूरी अयोध्या में सेंट्रल साउंड सिस्टम पर भजन सम्राट अनूप जलोटा के भजन व धार्मिक गीत गूंज रहे थे। श्रद्धालुओं का मंदिर दर्शन और सरयू स्नान का क्रम सामान्य माहौल में जारी रहा। लेकिन मंदिर-मस्जिद विवाद के केस के आने वाले फैसले का भी यहां के लोगों में बेसब्री से इंतजार है।इसको लेकर सुरक्षा व आपसी सौहार्द को कायम रखने की अपीलें व बैठकें भी हो रही हैं। सुरक्षा प्लान के हिसाब से फोर्स की तैनाती का दायरा कसता जा रहा है। लोगों में माहौल शांतिपूर्ण बने रहने को लेकर असमंजस है। वे सवाल करते हैं कि कहीं कर्फ्यू तो नहीं लगेगा? डीएम अनुज कुमार झा व एसएसपी आशीष तिवारी साफ शब्दों में कहते हैं कि सुरक्षा की दृष्टि से निषेधाज्ञा 28 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है पर माहौल को सामान्य बनाए रखा जाएगा। इस बीच इसी हफ्ते में पड़ने वाले दो परिक्रमा मेलों में 10-10 लाख तक की भीड़ यहां पहुंचने के बाद भी किसी पर सख्ती नहीं की जा रही है।'फैसले के बाद कौमी रिश्ते और मजबूत होंगे' अयोध्या में करीब 10 हजार की मुस्लिम आबादी है जो हिंदुओं के साथ रहती है। मुस्लिम धार्मिक स्थल नौगजी कब्र के मुतवल्ली मो उमर का कहना है कि अयोध्‍या विवाद में फैसला आने के बाद यहां का भाईचारा और बढ़ेगा साथ ही पर्यटन का व्यापक विकास होगा। वह कहते हैं, 'इस विवाद से अयोध्या को बहुत नुकसान हुआ है। राजनीतिक दलों ने इस पर रोटिंया सेंकी हैं पर अब राजनीतिक दुकानदारी बंद होगी।' फैसला किसी के पक्ष मे आए गले मिल कर बधाई देंगे' शास्त्री नगर के किराना व्यापारी नंद किशोर कहते है कि वे उस इलाके में रहते है जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। लेकिन दोनों कौमों के बीच पारिवारिक रिश्ते हैं। मंदिर-मस्जिद विवाद से दिल में कुछ दूरियां बनीं पर अब लगता है कि वह भी खत्म होने वाली है। उनका कहना है, 'हमने तय किया है कि फैसला मंदिर अथवा मस्जिद किसी के पक्ष में आए, हम एक दूसरे से गले मिल कर बधाई देंगे। नंद किशोर ने कहा कि जिस तरह से योगी सरकार अयोध्या के विकास मे लगी है। यह अंतरराष्‍ट्रीय पर्यटन नगरी का दर्जा हासिल कर लेगी। इससे दोनों कौमों का आर्थिक विकास होगा।'मुस्लिम धर्मस्थलों का भी विकास करे सरकार' नौगजी कब्र के मुतवल्ली मो उमर व उनके पड़ोसी नंद किशोर का कहना है कि योगी सरकार जिस तरह से हिंदुओं के धर्मस्थलों का विकास कर रही है। उसमे मुस्लिम धर्मस्थलों को भी जोड़ना चाहिए। नौगजी कब्र , बड़ी बुआ, शीश पैगम्बर, जिन्नाती मस्जिद आदि उपेक्षित हैं। इससे यहां दोनों कौमों के बीच भाई-चारे की डोर और मजबूत होगी।इनके सपनों में आते हैं रामलला तीन पीढ़ी से विवादित स्थल पर विराजमान राम लला की ड्रेस सिलने वाले टेलर मास्टर शंकर लाल श्रीवास्तव की दुकान मणिराम छावनी से मुख्य मार्ग को जोड़ने वाली सड़क पर है। वे कहते हैं, 'मैं और मेरे भाई भगवत प्रसाद पहाड़ी को इन दिनों सपने में रामलला आते हैं। इस वजह से हमें भरोसा है कि राम मंदिर के पक्ष में ही फैसला आएगा।' वे कहते हैं कि आने वाले दिनों में रामलला की ड्रेस सिलने का बड़ा काम मिलेगा, रोजगार बढ़ेगा। '1990 जैसी बाहर की भीड़ से डर लगता है' इन सभी को अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस नहीं होता। इनका कहना है, 'दोनों कौमों में भाई-चारे का रिश्‍ता मजबूत है। डर तो 1990 जैसी बाहर की भीड़ से लगता है।' उमर, सलीम, कलीम, अलीम व नईम के परिवार के लोग भी अपने रोजगार को लेकर ही बात करते हैं। इन लोगों का मानना है कि कोर्ट का फैसला आने के बाद कोई विवाद यहां नहीं खड़ा होगा, क्‍योंकि आपस में तय हो गया है कि कोर्ट का फैसला जो भी आएगा सभी उसे मानेंगे और उसका सम्‍मान करेंगे। कजियाना मोहल्ले के आरिफ कहते हैं, 'कभी भी हिंदू भाइयों से विवाद नहीं हुआ। बस मंदिर-मस्जिद विवाद से केवल रोजगार पर बुरा असर पड़ा है।'
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