कश्मीर मसले पर चीन और भारत के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं। भारत ने भी साफ कर दिया है कि इस मामले में चीन की नाराजगी के कोई मायने नहीं हैं। इतना ही नहीं भारत ने अपने आक्रामक रुख से यह बात भी बेहद साफ कर दी है कि वह इस मसले में किसी भी दूसरे देश की दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत के इस आक्रामक रुख से कहीं न कहीं चीन को इस बात का अंदाजा हो गया है कि यहां पर अब उसकी दाल नहीं गलने वाली है। इतना ही नहींं चीन को कहीं न कहीं इस बात का भी डर सताता दिखाई दे रहा है कि भारत की मौजूदा सरकार पीओके को लेकर जितनी आक्रामक है, उतनी ही आक्रामक अक्साई चिन को भी भारत में शामिल करने पर है। इस बात को खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह संसद में कह चुके हैं। कश्मीर को लेकर चीन जिस तरह से बौखलाया हुआ है उससे इस संभावना को बल भी मिल रहा है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले जब चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भारत के दौरे पर आए थे उस वक्त उन्होंने कहा था कि भारत और चीन विवादित मुद्दों को दोनों देशों के बीच संबंधों को खराब करने का जरिया नहीं बनने देंगे। इस दौरे में कश्मीर का मुद्दा भी नहीं उठा था। लेकिन, बीते तीन दिनों में चीन कश्मीर को लेकर लगातार बयानबाजी कर रहा है। हद तो तब हो गई जब गुरुवार को जम्मू कश्मीर और लद्दाख में नवनियुक्त उपराज्यपालों ने अपना पदभार ग्रहण किया। इसके साथ ही दोनों राज्यों ने बतौर केंद्र शासित प्रदेश काम करना शुरू कर दिया है। बौखलाहट के पीछे की वजह
अब जरा हम आपको चीन की इस बौखलाहट के पीछे की वजह के बारे में भी जानकारी दे देते हैं। दरअसल,, वर्ष 2014 से ही केंद्र सरकार की तरफ से यह बात साफ की जा चुकी है कि भारत-पाकिस्तान से, कश्मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए वार्ता को तैयार है, लेकिन, यह बातचीत केवल पीओके या गुलाम कश्मीर को लेकर ही होगी। आपको बता दें कि अगस्त में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने देश की संसद में कहा था कि जब भारत जम्मू कश्मीर की बात करता है तो इसके अंदर गुलाम कश्मीर और अक्साई चिन भी आता है, जिस पर चीन ने अवैध कब्जा किया हुआ है। चीन को सताने लगा है डर
चीन भविष्य की उस आहट से डरा हुआ है जिसमें भारत पीओके या गुलाम कश्मीर को अपनी सीमा में शामिल करने की कवायद कर सकता है। इस तरह की बात कई बार सरकार के मंत्रियों, भाजपा नेताओं और आर्मी चीफ की तरफ से भी की जाती रही है कि सेना को सिर्फ सरकार से इजाजत का इंतजार है। चीन के लिए समस्या केवल भारत से दिए जाने वाले जवाब को लेकर ही नहीं हो रही है बल्कि इस वजह से भी है क्योंकि उसने अरबों डॉलर का निवेश पाकिस्तान में किया हुआ है। इस निवेश की शुरुआत का अहम पड़ाव सीपैक है जो गुलाम कश्मीर की सीमा में ही आता है। इसको लेकर भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी नाराजगी दर्ज भी करवाई थी।
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चीन पर हावी हो रही भारत की आक्रामकता, क्या सता रहा अक्साई चिन के छिन जाने का डर!
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