कैसे लगाएं ऑक्सीजन प्लांट, कितनी आती है लागत


 

कोरोना वायरस महामारी के दूसरे लहर ने देश में हाहाकार मचा दिया है. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार भारी बढ़ोतरी हो रही है. दूसरी ओर ऑक्सीजन की कमी की वजह से लगातार कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीजों की मौत हो रही है. देशभर में ऑक्सीजन गैस की किल्लत होने से मरीजों को इसकी व्यवस्था करने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि केंद्र सरकार की 12 राज्यों के साथ बैठक के बाद राज्यों की जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग राज्यों को 6,177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी. बता दें कि मेडिकल ऑक्सीजन कोरोना मरीजों के लिए काफी जरूरी है ऐसे में मेडिकल ऑक्सीजन क्या होती है, कैसे बनाई जाती है, इसकी लागत क्या है और यह अस्पतालों तक पहुंचती है. इन सब सवालों के जवाब हम इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करेंगे.


बता दें कि ऑक्सीजन हवा और पानी दोनों में मौजूद रहती है. हमारे चारो ओर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21 फीसदी और 78 फीसदी नाइट्रोजन होती है. इसके अलावा 1 फीसदी अन्य गैसें जिसमें आर्गन, हीलियम, नियोन, क्रिप्टोन, जीनोन जैसी गैस शामिल होती है. गौरतलब है कि इन सभी गैस का बॉयलिंग प्वाइंट काफी कम और अलग-अलग होता है. ऑक्सीजन बनाने की प्रक्रिया के तहत सबसे पहले हवा को जमा करके उसे ठंडा करते जाना है तो -108 डिग्री पर जीनोन गैस लिक्विड में बदल जाएगी और फिर उसे हवा से अलग किया जा सकता है. बता दें कि ऑक्सीजन प्लांट में हवा में से ऑक्सीजन को अलग किया जाता है और इस प्रक्रिया के लिए एयर सेपरेशन की तकनीक का इस्तेमाल होता है, यानि कि हवा को कंप्रेस किया जाता है और उसके बाद अशुद्धियां दूर करने के लिए फिल्टर किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद हवा को डिस्टिल करते हैं ताकि ऑक्सीजन को दूसरी गैसों से अलग किया जा सके. इस प्रक्रिया के बाद ऑक्सीजन लिक्विड बन जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आजकल ऑक्सीजन बनाने के लिए एक पोर्टेबल मशीन भी आती है जिसे मरीज के पास रख दी जाती है और यह मशीन हवा से ऑक्सीजन को अलग करके मरीज तक पहुंचती रहती है. 

मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलेंडर का बिजनेस शुरू करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. आवेदक को यह देखना जरूरी है कि वह लाइसेंस हासिल करने करने के लिए सभी नियमों को पूरा कर रहा है या नहीं. कोई भी व्यक्ति बगैर लाइसेंस के लिए इस बिजनेस को शुरू नहीं कर सकता है. इस बिजनेस को शुरू करने के लिए राज्य स्तर पर लाइसेंस की जरूरत होती है. इसके अलावा किस जगह पर बिजनेस शुरू करना चाहते हैं इसके लिए स्थानीय बोर्ड से अनुमति लेना जरूरी है. कानूनी रूप से शुरू करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. 

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