दक्षिण एशिया में एक बार फिर चीन के हाथों शिकस्त खाने की कगार पर खड़ा है भारत - china dessimate india in maldives crisis free trade agreement south asia

नई दिल्ली: महज 24 घंटे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय को उम्मीद थी कि मालदीव में जारी राजनीतिक संकट थम जाएगा. लेकिन इसके उलट 21 फरवरी 2018 को मालदीव सरकार ने देश में लागू इमरजेंसी की मियाद को अगले 30 दिनों तक बढ़ा दिया है. इससे भारत के सामने न सिर्फ कड़ी चुनौती खड़ी हो गई है बल्कि उसे डर है कि दक्षिण एशिया में वह एक बार फिर चीन के हाथों शिकस्त खाने की कगार पर खड़ा है.




मालदीव सार्क संगठन में सबसे छोटा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण सदस्य है. दक्षिण चीन सागर में कारोबार पर पकड़ के लिए मालदीव की स्ट्रैटेजिक लोकेशन बेहद अहम है. इसी के चलते वैश्विक आर्थिक शक्तियां मालदीव के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की कोशिश में लंबे समय से जुटी हैं. मालदीव सरकार ने पिछले महीने 5 जनवरी को चीन के साथ FTA पर सहमति दे दी. हालांकि इस सहमति के लिए मालदीव सरकार ने संसद का इमरजेंसी सत्र बुलाया था. इस सत्र में कुल 80 सांसद मौजूद थे लेकिन महज 30 सांसदों की मंजूरी पर चीन के साथ FTA प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी.


भारत सार्क संगठन के तहत पूरे दक्षिण एशिया में अपने नेतृत्व का दावा करता है. लेकिन मालदीव और चीन के बीच हुए FTA ने दक्षिण एशिया के कारोबार पर पकड़ बनाने के लिए चीन को मजबूत कर दिया है. वहीं भारत ने खुद मालदीव के साथ किसी स्वतंत्र FTA की कोशिश को तरजीह नहीं दी, जबकि बीते तीन साल से जारी प्रयास के बाद चीन ने मालदीव से साथ FTA पर सहमति बना ली है. यह चुनौती इसलिए भी गंभीर हो जाती है कि चीन ने सार्क सदस्य पाकिस्तान से पहले ही FTA कर लिया है और अब बचे हुए सार्क देशों को भी चीन साधने की कोशिश करेगा.



मौजूदा स्थिति में भारत के सामने मालदीव में सेना भेजने का विकल्प है, जिससे वहां राजनीतिक स्थिरता की कोशिश की जा सके. गौरतलब है कि बीते एक महीने से मालदीव में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत विपक्ष के कई बड़े नेता जेल में हैं. गौरतलब है कि भारत ने इससे पहले भी मालदीव में राजनीतिक स्थिरता के लिए सेना भेजने का काम किया है.

हालांकि इस बार यह फैसला भारत सरकार के लिए इतना आसान नहीं है. मौजूदा समय में चीन सरकार ने मालदीव के साथ FTA को प्रभावी करते हुए बड़े आर्थिक निवेश का रास्ता साफ कर लिया है. ऐसी स्थिति में यदि भारत अपनी सेना भेजने का फैसला करता है तो चीन की तरफ से भी अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए सैन्य पहल की जा सकती है. बीते कुछ घंटों के दौरान वैश्विक एजेंसियों ने दावा किया है कि चीन ने क्षेत्र में अपनी नेवी को तैनात करने की पहल की है.



लिहाजा इस विकल्प के उलट भारत के सामने मालदीव में जल्द स्थिति सामान्य कराने के लिए गंभीर कूटनीतिक प्रयास की है, जिससे जल्द से जल्द मालदीव में लोकतंत्र बहाल किया जा सके. गौरतलब है कि मालदीव का दक्षिण चीन सागार में स्ट्रैटेजिक महत्व के चलते अमेरिका की भी नजर मालदीव में जल्द से जल्द लोकतंत्र बहाल कराने पर है.



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