कनक गुरुपीठ के मुख्य स्वामी श्री श्री निरंजनानंद पुरी से आशीर्वाद लिया राहुल गांधी ने - rahul gandhi mutt kanaka guru peetha swami blessings

बंगलुरू: कर्नाटक चुनाव की बिसात पूरी तरह बिछ चुकी है. जनता जनार्दन के अलावा नेता मठ-मंदिर-दरगाह जाकर भी आशीर्वाद ले रहे हैं. इस कड़ी में बीजेपी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी जमकर राज्य के मठों का रुख कर रहे हैं.

मंगलवार को भी राहुल गांधी और अमित शाह जनसभाओं के अलावा मठों में पहुंचे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह हवेरी जिले के कनक गुरुपीठ गए. हालांकि, यहां उन्हें गुरुपीठ के मुख्य स्वामी श्री श्री निरंजनानंद पुरी से आशीर्वाद नहीं मिल पाया. दरअसल, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुख्य स्वामी यहां मौजूद ही नहीं थे.


वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मुख्य पुजारी से मिलने का मौका मिल गया. राहुल गांधी ने ट्विटर पर इस मुलाकात की फोटो भी शेयर की है, जिसमें मुख्य स्वामी श्री श्री निरंजनानंद और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के. सिद्धारमैया भी नजर आ रहे हैं.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने मठ के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि राहुल गांधी का कार्यक्रम बहुत पहले से निर्धारित था, यही वजह रही कि अमित शाह के पहुंचने पर मुख्य स्वामी उपलब्ध नहीं हो पाए.


राज्य के सभी 30 जिलों में मठों का जाल फैला हुआ है. जातीय समीकरण के लिहाज से मठों का अपना प्रभुत्व और दबदबा है, जो राजनैतिक दलों को उनकी ओर आकर्षित करता है. कनक गुरुपीठ पिछड़े समुदाय का सबसे असरदार मठ माना जाता है. यही वजह है कि यहां के मुख्य स्वामी से मुलाकात होने और न होने के भी बड़े राजनीतिक मायने हैं.

मठों का कर्नाटक की राजनीति पर असर कितना ज्यादा है, इस बात का अंदाजा राहुल गांधी और अमित शाह के दौरों से भी लगाया जा सकता है. अपने हर दौरे में दोनों नेता रैलियों के साथ-साथ मठों के दौरे करना नहीं भूल रहे हैं. लिंगायत समुदाय की मांग मानकर कांग्रेस ने एक बड़ा दांव खेला है, क्योंकि कर्नाटक में सबसे ज्यादा असरदार मठ लिंगायत समुदाय के ही हैं. ऐसे में अमित शाह भी ओबीसी समुदाय से जुड़े मठों का दौरा कर उनका समर्थन हासिल करने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं. बता दें कि राज्य में 12 मई को 224 सीटों पर मतदान होना है. जबकि वोटों की गिनती 15 मई को होगी.



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