नई दिल्ली
: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नौकरियों में प्रमोशन को लेकर मौजूदा आरक्षण व्यवस्था को तब तक बरकरार रखने को कहा है, जब तक कि इस मामले में संविधान पीठ कोई अंतिम फैसला न सुना दे। कोर्ट के इस आदेश से बीजेपी को मदद मिलने की उम्मीद है, जो 2019 लोकसभा चुनावों से पहले दलित वोट बैंक बढ़ाने के एजेंडा पर काम कर रही है। इससे पहले केंद्र की बीजेपी सरकार उस वक्त बैकफुट पर आ गई थी, जब अटॉर्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट को एससी/एसटी ऐक्ट के कथित दुरुपयोग के मामले में भरोसा नहीं दिला पाए थे। विपक्ष ने इसके बाद बीजेपी पर इस ऐक्ट के प्रावधानों को कमजोर करने की साजिश का आरोप लगाया था। इस पर बीजेपी को सफाई देनी पड़ी थी कि आरक्षण और दलित समुदाय की सुरक्षा से जुड़े अन्य नियम बने रहेंगे। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में राहत नहीं देता है तो सरकार अध्यादेश लाएगी। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इस वजह से झटका लगने का डर था, जो सही साबित हुआ। पार्टी का बॉम्बे-कर्नाटक और हैदराबाद-कर्नाटक में अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा, जहां दलित आबादी ज्यादा है। हालांकि, इसके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। बीजेपी के दलित सांसदों को एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव की वजह से अपने समुदाय के गुस्से का सामना करने का डर था। इसलिए कई सांसदों ने इसके खिलाफ विरोध दर्ज कराया था।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि पार्टी प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी स्थिति तैयार कर रही है, क्योंकि इसका इस्तेमाल दलित वोटर्स को लुभाने के लिए किया जा सकता है। पार्टी दलित वोटर्स को अपने साथ लाने के लिए अपने नेताओं को उनके घरों में जाकर खाना खाने को कहा था। हालांकि, इसका खास प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है। विपक्ष ने बीजेपी के इस कदम को दिखावटी बताते हुए आलोचना की थी। उसने दलित वोटर्स को साथ लाने की बीजेपी की इन कोशिशों को उसके शासनकाल में समुदाय पर हुए अत्याचार की कई रिपोर्टों के जरिए कमतर करती रही है।
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प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, BJP यूं उठाएगी फायदा- sc-ruling-provides-opening-for-bjp
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