राजकोट
:
गुजरात के राजकोट की एक स्पेशल कोर्ट ने ऊना निवासी एक दलित लड़की को गांव
के कुएं से पानी ना भरने देने के मामले में छह लोगों को दोषी पाया है।
इनमें से एक महिला को ढाई साल और बाकी पांच दोषियों को एक-एक साल की सजा
सुनाई है। यह मामला 2010 का है। आरोप है कि लड़की को पानी भरने से रोकने के
साथ-साथ प्रताड़ित भी किया गया था। जेल की सजा के साथ-साथ ने कोर्ट ने
एससी-एसटी ऐक्ट के तहत सभी दोषियों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
बताया गया कि गिर-सोमनाथ जिले के कोदिनार तालुका के सुगाला गांव की 19 साल
की लड़की को गांव के ही कुछ लोगों द्वारा कुएं से पानी भरने से रोक दिया
गया था और प्रताड़ित भी किया गया था। मामले में दोषी पाए गए सभी लोग राजपूत
समुदाय के हैं।
कोर्ट ने माफ करने से किया इनकार
बता दें कि ऐसे मामलों में पहली बार दोषी पाए जाने पर सामान्यत: कोर्ट
द्वारा माफ कर दिया जाता है लेकिन इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एस एल
ठाकुर ने दोषियों को नहीं बख्शा। 25 नवंबर 2010 को साधना मनुभाई वाजा गांव
के कुएं पर पानी भरने गईं, मुख्य आरोपी गीता धीरूभाई खासिया (33 वर्ष) ने
उनको रोक और गालियां देते हुए कहा, 'अगर तुमने पानी लिया तो यह अशुद्ध हो
जाएगा, पहले मुझे पानी भरने दो। तुम लोगों के दिमाग में डर बिठाने की जरूरत
है।'
जब साधना ने इसका विरोध किया तो गीता के साथ आए कुछ और लोगों ने साधना की
चोटी पकड़ ली और जमीन पर गिराकर मारा पीटा। घटना के बाद साधना ने कोदिनार
पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। 21 जुलाई को स्पेशल कोर्ट ने आईपीसी
की धारा 304, 504 और एससी-एसटी ऐक्ट 1989 की धारा 3(1) के तहत गीता को दोषी
पाया। अन्य पांच आरोपियों को आईपीसी की धारा 147 के तहत दोषी पाया गया और
एक साल की सजा सुनाई गई।
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गुजरात: दलित लड़की को पानी भरने से रोका, 6 लोगों को हुई सजा- 6-jailed-in-gujarat-for-not-letting
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