BSP के सहारे कांग्रेस पाना चाहती है सत्‍ता, जोगी बिगाड़ सकते हैं गठबंधन की गणित- chhattisgarh-assembly-elections-2018

नई दिल्‍ली: कांग्रेस बीते 15 सालों से छत्‍तीसगढ़ की सत्‍ता से बाहर है. छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में सत्‍ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है. छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013 में महज 0.75 फीसदी वोटो से सत्‍ता गंवाने वाली कांग्रेस को मालूम है कि वोटो का यह मामूली अंतर वह बीएसपी की मदद के जरिए ही पाट सकती है. इसी बीच, कांग्रेस को यह डर भी सता रहा है कि अजीत जोगी कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक को काटने में सफल रहे तो पूरी रणनीति एक बार फिर बिखर सकती है. जिसका फायदा सीधी तौर पर बीजेपी को मिलेगा और वह चौथी बार सूबे में सरकार बनाने में सफल हो जाएगी. वहीं विपक्ष में पड़ी इस फूट को भुनाने के लिए बीजेपी ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. छत्‍तीसगढ़ में बीएसपी के पास है निर्णायक वोट बैंक छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत-हार का अंतर महज 0.75 फीसदी था. बीते चुनाव में जहां कांग्रेस को 40.29 फीसदी वोट मिले थे. वहीं सूबे में तीसरी बार सत्‍ता हासिल करने वाली बीजेपी के पास 41.04 फीसदी मतदाताओं का वोट था. बीते तीन चुनावों में बीएसपी का वोट प्रतिशत करीब 4 से 6 फीसदी के बीच रहा है. बीते तीन चुनावों में बीएसफ को मिलने वाले 4 से 6 फीसदी वोट को देखने के बाद कांग्रेस के मन में यह उम्‍मीद जाग गई है कि आगामी चुनाव में बीएसपी का साथ मिल गया तो सत्‍ता इस बार कांग्रेस से दूर नहीं जा सकेगी. लिहाजा, मध्‍य प्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ में भी बीएसपी के साथ गठबंधन करने की कोशिशों में लगी हुई है. अजीत जोगी बिगाड़ सकते हैं कांग्रेस की पूरी गणित बीएसपी के सहारे छत्‍तीसगढ़ की सत्‍ता हासिल करने की रणनीति तैयार कर रही कांग्रेस को इन दिनों बीजेपी से ज्‍यादा डर अपने पूर्व नेता अजीत जोगी से लग रहा है. दरअसल, 2013 में हुए विधानसभा के बाद अजीत जोगी ने कांग्रेस का साथ छोड़कर अपनी नई पार्टी बना ली थी. कांग्रेस के वोट बैंक में एक बड़ा प्रतिशत ऐसा भी है, जिनकी पहली पसंद अजीत जोगी हैं. वहीं बीते चुनाव के बाद से अजीत जोगी सूबे में राजनैतिक तौर पर बेहद सक्रिय रहे हैं. फलस्‍वरूप बीते पांच वर्षों में वह राज्‍य में अपना नया वोट बैंक खड़ा करने में सफल रहे हैं. कांग्रेस को अब यही डर सता रहा है कि अजीत जोगी उनके पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रहे तो एक बार फिर सत्‍ता दूर की कौड़ी हो सकती है.
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