इमरान खान के पहले भाषण पर उठे सवाल, पाकिस्तान में ऐसी रही प्रतिक्रिया- people-raise-question-on-first-speech-of-imran-khan

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान ने शनिवार को पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. शपथ लेने से एक दिन पहले उन्होंने पाकिस्तानी संसद के निचले सदन में बहुमत साबित किया. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार में देश के लुटेरे बख्शे नहीं जाएंगे. इस दौरान वो बेहद आक्रमक नजर आए. बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने अपने पहले संबोधन में कहा, 'मैं आज अपने वतन से वादा करता हूं कि हम वह तब्दीली लाएंगे जिसके लिए यह मुल्क लंबे समय से कोशिश करता रहा है. हमें इस देश में सख्त जवाबदेही कायम करनी है. मैं वादा करता हूं कि मैं पाकिस्तान को लूटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करूंगा. जिस काले धन को सफेद किया गया, मैं उसे वापस लाऊंगा. जो पैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी पर खर्च होने चाहिए थे, वे लोगों की जेब में चले गए.' भाषण का इसलिए हो रहा विरोध उनके इस भाषण में एक प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक विरोधी खेमे के नेता के तौर पर नजर आए. उनके इस भाषण से पाकिस्तान को आशा थी कि वो देश की बात करेंगे लेकिन उनके भाषण के ज्यादातर हिस्से में विपक्ष पर छींटाकशी और हमलावर रुख दिखा. उम्मीदों के विपरीत उनके संबोधन में उनकी पारंपरिक फैयरब्रांड शैली नजर आई. जिसमें उन्होंने पूरे टाइम विपक्ष को निशाने पर रखा, राजनीतिक विरोधियों का उपहास किया. पाकिस्तान की जनता को उनसे संतुलित भाषण की उम्मीद थी, जिसमें सरकार को एक बेहतर दिशा देने के लिए समावेश, सुलह और राजनीतिक विरोधियों के प्रति खुलेपन पर बात होनी चाहिए थी. लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को कड़वाहटों के साथ चुनौती दी. विपक्षी नेताओं को डकैत कह डाला दरअसल, शहबाज ने चेताया कि यदि सरकार ने चुनावों में धोखाधड़ी की जांच नहीं की तो वह प्रदर्शन शुरू करेंगे. इसी पर इमरान ने शाहबाज को डी-चौक में एक महीने तक धरना करने की चुनौती दी. इमरान ने कहा, 'मुझे कोई ब्लैकमेल करने की कोशिश नहीं करे.' साल 1996 में पीटीआई की स्थापना करने वाले पश्तून ने कहा कि वह 22 सालों के संघर्ष के बाद इस मुकाम पर पहुंचे हैं. भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिए गए नवाज शरीफ की तरफ परोक्ष इशारा करते हुए इमरान ने कहा कि वह किसी 'डकैत' के प्रति कोई नरमी नहीं बरतेंगे. खान के इस भाषण के बाद राजनीतिक और सार्वजनिक गलियारों में एक तरह का रोष देखा गया. कई लोगों ने कहा कि खान को शांत और गंभीर होकर भाषण देना चाहिए था, नए प्रधानमंत्री से इस तरह के भाषण की उम्मीद नहीं होती. राजनीतिक विश्लेषक नहीं हैं खुश पाकिस्तान के पूर्व चुनाव आयोग के सचिव कंवर दिलशाद ने पीएम इमरान खान के भाषण को लेकर एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात की. उन्होंने कहा, 'उन्हें अपने तरीके सुधारने की जरूरत है, जितना जल्द करेंगे उतना बेहतर होगा.' उन्होंने कहा कि खान को नई राजनीतिक वास्तविकताओं में समायोजित करने की जरूरत है क्योंकि वह शीर्ष पर है और नेशनल असेंबली में देश चलाने वाले कुर्सी पर बैठना है. दिलशाद ने कहा कि एक चुने हुए प्रधानमंत्री को विपक्ष के नेता की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए. उन्हें आलोचना का सामना करना होगा और उन्हें आपसी मतभेदों व तनाव को खत्म करने वाले शख्स की भूमिका निभानी पड़ेगी. दिलशाद के मुताबिक पाकिस्तान के संसद में बहुमत परीक्षण के दौरान विपक्ष के रवैये से परेशान होकर उन्होंने अपना आपा खो दिया. उन्होंने कहा, 'शायद इमरान से यह नहीं देखा गया कि पीपीपी की शुक्रवार के चुनाव में मतदान से दूर रहने की घोषणा स्पष्ट रूप से उनके पक्ष में थी. दरअसल, वो उम्मीद कर रहे थे कि बहुमत परीक्षण के बाद विपक्ष की प्रतिक्रिया औपचारिक होगी. लेकिन विपक्ष के नेताओं ने सदन में मतदान के बाद गुस्सा जाहिर किया और विरोध भी. ऐसा प्रतीत होता है कि इस अप्रत्याशित प्रतिक्रिया के बाद नव निर्वाचित प्रधानमंत्री ने अपना गुस्सा खो दिया और वो आक्रामक हो गए. लेकिन उन्हें शांत रहना सीखना होगा.' इमरान ने कहा, 'मैं किसी तानाशाह के कंधों पर चढ़कर नहीं आया; मैं 22 सालों के संघर्ष के बाद इस मुकाम पर पहुंचा हूं. सिर्फ एक नेता ने मुझसे ज्यादा संघर्ष किया और वह मेरे हीरो (पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली) जिन्ना थे.' पार्टी के लोग भी भाषण की शैली से नाखुश
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