लंदन से राहुल गांधी का मोदी पर प्रहार, कहा- PM के लिए इवेंट है डोकलाम विवाद- rahul-gandhi-hits-pm-modi

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विदेश की धरती से एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला है. इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं. लंदन स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज में लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी के लिए डोकलाम विवाद एक इवेंट है. गांधी ने कहा कि डोकलाम कोई अलग मुद्दा नहीं है. यह एक के बाद एक कई घटनाओं का हिस्सा था. यह एक प्रक्रिया थी. प्रधानमंत्री मोदी डोकलाम को महज एक इवेंट के रूप में देखते हैं. अगर उन्होंने ध्यान से पूरी प्रक्रिया को देखा होता, तो वो इसे रोक सकते थे. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह हकीकत है कि डोकलाम में आज भी चीन की मौजूदगी है. पीएम मोदी के पास पाकिस्तान को लेकर कोई सोची समझी रणनीति नहींः राहुल गांधी इस दौरान राहुल गांधी ने पाकिस्तान को लेकर भी पीएम मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान को लेकर पीएम मोदी के पास कोई गहराई से सोची-समझी रणनीति नहीं है. पाकिस्तान के साथ बातचीत करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वहां कोई भी ऐसी संस्था नहीं है, जो सर्वोच्च हो. हम तब तक प्रतीक्षा करेंगे, जब तक कि वो कोई सुसंगत ढांचा नहीं बनाते हैं.' लोगों की समस्याओं को कम करने लिए बनाया RTI कानून राहुल गांधी ने कहा, 'भारत पिछले 70 वर्षों से बदलाव के दौर से गुजर रहा है. लोकतांत्रिक सिद्धांतों का इस्तेमाल करके एक ग्रामीण देश बदल रहा है. हम शांतिपूर्ण ढंग से बदलाव कर रहे हैं. महत्वपूर्ण सिद्धांत ये था कि बदलाव का फायदा सभी भारतीयों को मिले और कोई भी पीछे न छूटे. एक और सिद्धांत ये था कि यह मोटे तौर पर अलग-अलग लोगों के हिसाब से हो. भोजन, काम और सूचना का अधिकार ये सारा ढांचा बदलाव के दौरान लोगों को होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए तैयार किया गया था.' पीएमओ में सिमट गई है सत्ता की पूरी ताकत इस दौरान राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर सत्ता के केंद्रीकरण का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भारत तभी सफल हुआ, जब सत्ता विकेंद्रीकृत हुई. पिछले चार वर्षों में बड़े पैमाने पर सत्ता का केंद्रीकरण हुआ है. आज सत्ता की पूरी ताकत पीएमओ के पास केंद्रित हो गई है. उन्होंने कहा कि चीन में भी इसी तरह का बदलाव हो रहा है. हमारी प्रक्रिया मूलभूत है, जबकि चीनी पद्धति थोड़ी हिंसक है. चीन आगे बढ़ रहा है और दुनिया में उस प्रगति का असर भी हो रहा है. भारत संतुलन की भूमिका निभा सकता है और पूरी दुनिया को सुरक्षित जगह बनाने के लिए का निर्माण कर सकता है.' टकराव को कम करने में माहिर है भारत: राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'भारत टकराव को कम करने में माहिर है. भारत का बुनियादी सिद्धांत है कि जब कोई पूछे कि भारत का झुकाव 'बाएं है या दाएं', तो हमारा जवाब होगा 'भारत सीधे खड़ा है.' गांधी ने कहा, 'भारत में मौजूदा सरकार के बारे में मेरी मुख्य शिकायतों में से एक यह है कि मुझे भारत की ताकत के आधार पर कोई सुसंगत रणनीति नहीं दिख रही है. मुझे केवल तात्कालिक प्रतिक्रियाएं दिखती हैं. यद्यपि चीन के साथ हमारा पारंपरिक इतिहास रहा है, लेकिन जहां तक लोकतांत्रिक ढांचे की बात है, तो हम यूरोपीय देशों के ज्यादा करीब हैं.' राहुल बोले- RSS का फैसला था नोटबंदी राहुल गांधी ने आरएसएस पर भी हमला बोला है. उन्होंने नोटबंदी के फैसले को आरएसएस का निर्णय बताया है. उन्होंने कहा, 'अगर आप अपने देश के ढांचे को गहराई से समझते हैं, तो आप संतुलित ताकत का इस्तेमाल करेंगे. आज मैं भारत को अपनी ताकत बढ़ाते नहीं देख पा रहा हूं. नोटबंदी का विचार वित्तमंत्री और आरबीआई को नज़रंदाज़ करके सीधे आरएसएस से आया और प्रधानमंत्री के दिमाग में बैठा दिया गया.' भारत की प्रकृति ही बदलने में जुटा है RSS: राहुल गांधी लंदन से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने आरएसएस पर भारत की प्रकृति को बदलने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'आज आरएसएस भारत की प्रकृति को बदलने की कोशिश कर रहा है. अन्य पार्टियों ने भारत की संस्थाओं पर कब्जा करने के लिए कभी हमला नहीं किया. आरएसएस की सोच अरब देशों की मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी है.' गांधी ने कहा, 'साल 1947 में पश्चिम को भारत पर भरोसा नहीं था, लेकिन भारत ने पश्चिम को गलत साबित कर दिया. हमें सफलता इसलिए मिली, क्योंकि हजारों लोगों ने संस्थाओं का निर्माण किया और यही वो संस्थाएं हैं, जिन पर आज हमले हो रहे हैं.' विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर भी राहुल का तंज विदेशी धरती से राहुल गांधी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर भी तंज कसा है. उन्होंने कहा कि भारत की विदेश मंत्री वीजा बनाने में ही काफी समय बिताती हैं और बाकी कामों के लिए कम समय देती हैं. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय का एकाधिकार मिटाकर और समाज के अन्य हिस्सों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाकर एक आधुनिक विदेश मंत्रालय बनाया जा सकता है.
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