नाले की गैस से दौड़ने लगी रामू चायवाले की छोटी-सी दुकान-ramu-chaiwala-using-drainage-gas

गाजियाबाद: हिंदुस्तान की मौजूदा सियासत का रंग-रुख कुछ ऐसा रहा है कि सत्ता में आने के बाद से इनकी चाय हमेशा गर्म रही है। चाय पर चर्चा, पकोड़े से रोजगार के बाद अब यह चाय नाले की गैस से गर्म हो रही है और इसे बनाने वाले हैं साहिबाबाद के रामू चायवाला। नाले की गैस से चाय बनाकर रामू फेमस हो रहे हैं तो दूसरी ओर उनके पास ग्राहकों की भीड़ भी बढ़ रही है। पहले नाले की बात सुनकर लोग कतराते थे, लेकिन स्वाद में कोई फर्क नहीं लगा तो अब आराम से चुस्की ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ल्ड बायोफ्यूल डे पर अपने भाषण में नाले से निकलने वाली गैस को स्टोर कर कुकिंग में प्रयोग करने की बात कही थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर यह भाषण लगातार ट्रोल होता रहा, कई मीम्स फॉरवर्ड हुए। इस पहल पर बहस गर्म होकर ठंडी पड़ती चली गई लेकिन रामू दो हफ्ते से इसी गैस से लगातार चाय उबाल रहे हैं।इंद्रप्रस्थ इंजिनियरिंग कॉलेज, साहिबाबाद के सामने से सूर्य नगर का नाला निकल रहा है। कड़कड़ मॉडल निवासी रामू बताते हैं कि रोज सुबह 7 बजे वह अपनी साइकल पर घर से चूल्हा और अन्य सामान लेकर निकलते हैं। रेहड़ी पर पहुंचते ही चाय बनाने का सिलसिला शुरू होता है। उन्होंने कहा कि वह इस जगह पर पहले से चाय बनाते आ रहे हैं। पहले महीने में 5 हजार रुपये तक कमाई होती थी, जिसमें से 1200 रुपये सिलेंडर पर ही खर्च हो जाते थे। 10 दिन पहले कॉलेज के छात्रों की मदद से उन्होंने यहां नाले की गैस से चाय बनाना शुरू किया। इससे उनका एलपीजी का 1200 रुपये का खर्च तो बचा ही। 10 दिन में ही 5 हजार रुपये की कमाई भी हो गई है। पहले नाले की गैस की चाय सुनकर लोग यहां आने में कतराते थे, लेकिन पीएम के भाषण के बाद यहां लोग आने लगे हैं। साथ ही उनकी प्रसिद्धि भी मिल रही है। ऐसे बनी नाले से गैस इसकी कहानी शुरू होती है इंद्रप्रस्थ इंजिनियरिंग कॉलेज से, जहां बी.टेक के दो छात्र अभिषेक वर्मा और अभिनेंद्र पटेल हॉस्टल की छत से रोज सूर्यनगर के नाले में गैस के बुलबुले उठते देखते थे। उन्होंने सोचा कि इस गैस को कुकिंग में प्रयोग कर सकते हैं। अभिषेक ने बताया कि गैस क्रोमोटॉग्रफी से पता चला कि नाला करीब 60 से 75 प्रतिशत मिथेन गैस उगलता है। इसे इकट्ठा करने के लिए लोहे के केस में छह बड़े ड्रम लगाए गए। इन सभी से जुड़ी एक पाइपलाइन गैस स्टोव तक आती है और कुकिंग के लिए ईंधन का काम करती है। छात्रों ने यह प्रॉजेक्ट साल 2013 में तैयार कर लिया था और बाकायदा कुकिंग में इस गैस के प्रयोग की प्रदर्शनी भी लगाई थी। इस दौरान यहां मौजूद एक चाय विक्रेता शिव प्रसाद ने चाय बनाकर भी दिखाई थी, हालांकि कुछ दिन बाद जीडीए टीम ने इस प्रॉजेक्ट को खतरा बताकर यहां से हटवा दिया था। पहले कहा कबाड़, अब मदद की बहार साल 2014 में जीडीए ने इस प्रॉजेक्ट को कबाड़-यूजलेस बताकर हटवा दिया था, लेकिन अब मामला सुर्खियों में आने के बाद छात्रों को इसके लिए सराहना मिल रही है। कॉलेज प्रशासन के अनुसार इसे बड़े स्तर पर तैयार करने के लिए एमएसएमई की ओर से मदद मिल रही है व वर्कशॉप प्लान करने की तैयारी की जा रही है। एसडीएम प्रशांत तिवारी ने भी छात्रों की सराहना की है। छात्र अब अगला प्रॉजेक्ट वसुंधरा मेन नाले पर तैयार करने की योजना बना रहे हैं और गैस के व्यापक प्रयोग के लिए भी जागरूक करेंगे।
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