मोदी सरकार के कार्यकाल में 322 फीसदी बढ़ा सरकारी बैंकों का NPA: RTI

सरकारी बैंकों के लिए नॉन परफॉर्मिंग एसेट एक बड़ी चुनौती बन चुकी है. हाल ही में पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के एनपीए पर खुलासे के बाद जहां दोनों बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने कार्यकाल की आर्थिक नीतियों को सही ठहरा रहे हैं, हाल में सूचना के अधिकार तहत मिली जानकारी बता रही है कि बीते चार साल के दौरान देश में सरकारी बैंकों के एनपीए में 322.21 फीसदी का इजाफा हुआ है. आरटीआई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से पूछा गया कि देश में जून 2014 से जून 2018 तक सरकारी बैंकों के एनपीए की क्या स्थिति है. इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक से जानकारी मांगी गई कि 30 जून 2018 को सरकारी बैंकों का कितना एनपीए है और इस तारीख तक कितने एनपीए की रिकवरी सरकारी बैंकों द्वारा की गई है? NPA के जाल में फंसी मोदी सरकार? अब संसद चाह रही रघुराम राजन की वापसी! आरटीआई के जवाब में केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने कहा कि उसके पास एनपीए का आंकड़ा महज दिसंबर 2017 तक का मौजूद है और इसके बाद के आंकड़ों के लिए इंतजार करने की जरूरत है. लिहाजा आरबीआई ने जून 2014 से दिसंबर 2017 तक का वह आंकड़ा जारी किया है जो सरकारी बैंक उसे मुहैया करा चुके हैं. आरबीआई के मुताबिक 30 जून 2014 तक देश के सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए 2,24,542 करोड़ रुपये था. यह एनपीए 31 दिसंबर 2017 तक बढ़कर 7,24, 542 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. लिहाजा, इस बीते चार साल के दौरान सरकारी बैंकों के एनपीए में 322.21 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. वहीं आरटीआई के अखिरी सवाल के जवाब में रिजर्व बैंकं ने बताया कि अप्रैल 2014 से लेकर मार्च 2018 तक सरकारी बैंकों ने 1,77,931 करोड़ रुपये की कुल रिकवरी की है.
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