द्रविड़ का केस लड़ना है तो सचिन, सौरव, लक्ष्मण का क्यों नहीं?-Loktantra Ki Buniyad

नई दिल्ली: बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति (सीओए) ने फैसला किया है कि वह हितों के टकराव के मामले में राहुल द्रविड़ का केस लड़ेगी. उसके इस फैसले पर सवाल भी उठने लगे हैं. बीसीसीआई के ही एक अधिकारी ने कहा कि अगर सीओए द्रविड़ का केस लड़ सकती है तो इसी तरह के मामले में उसने सचिन तेंदलुकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण का केस क्यों नहीं लड़ा? भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के लोकपाल डीके. जैन ने हाल ही में राष्ट्रीय क्रिकेट समिति (एनसीए) के मुखिया नियुक्त किए गए द्रविड़ को हितों के टकराव के मामले में नोटिस भेजा है. द्रविड़ को सुनवाई के लिए 26 सितंबर को अपने पास बुलाया गया है. बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सीओए ने हितों के टकराव मामले में जिस तरह का रुख द्रविड़ के लिए अपनाया है वैसा ही रुख उसे सौरव, सचिन और लक्ष्मण के मामले में अपनाना चाहिए था. अधिकारी ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो सीओए का मनमाना रवैया समझ में नहीं आता. बीसीसीआई की नजरों में सभी पूर्व खिलाड़ी समान होने चाहिए. अगर अब सीओए ने फैसला किया है कि वह द्रविड़ के मामले में अपना वकील नियुक्त करेगी तो यही सोच सचिन, सौरभ और लक्ष्मण के मामले में क्यों नहीं अपनाई गई? क्या यह इसलिए था कि वह मानद भूमिका में थे और प्रत्यक्ष तौर पर बीसीसीआई के कर्मचारी नहीं थे. यह साफ तौर पर गलत है.’ एक अन्य अधिकारी ने इस बात का समर्थन किया और इसी तरह के एक और वाकये को उठाया जहां एमवी. श्रीधर को महानिदेशक (क्रिकेट संचालन) के पद से हितों के टकराव के मामले के कारण हटना पड़ा था लेकिन बोर्ड द्वारा वकील मुहैया नहीं कराया गया था. इस अधिकारी ने कहा, ‘हमें इसके लिए भी डीआरएस चाहिए. अगर आप कुछ साल पहले जाते हैं तो श्रीधर को हितों के टकराव के मामले के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. उन्हें किसी भी तरह का वकील या किसी भी तरह की मदद मुहैया नहीं कराई गई थी. इस तरह का व्यवहार उस इंसान के साथ किया गया था जिसने भारतीय क्रिकेट के लिए अपना सब कुछ दे दिया था जिनकी कुछ दिनों पहले ही हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई और यह बात अभी तक हमें परेशान करती है.’ सीओए के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा था कि सीओए द्रविड़ का केस लड़ेगी. सीओए के सदस्य ने कहा था, ‘हमने लोकपाल को पहले ही अपना जवाब दे दिया है. हम द्रविड़ की तरफ से केस लड़ेंगे क्योंकि वे बीसीसीआई के कर्मचारी हैं. देखते हैं कि क्या होता है क्योंकि हमने पहले ही साफ कर दिया था कि जहां तक समिति की बात है तो द्रविड़ के साथ हितों के टकराव का मुद्दा नहीं है और इसलिए उन्हें एनसीए की जिम्मेदारी सौंपी गई है.’
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