शिवसेना को उसकी आक्रामकता के लिए जाना जाता है. शिवसैनिक दक्षिण भारतीयों, मार्क्सवादियों, मुसलमानों, बिहारियों और उत्तरी भारतीयों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन और उग्र बर्ताब के लिए पहचाने जाते हैं. लेकिन, बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच शिवसेना-एनसीपी का संभावित गठबंधन कांग्रेस को महाराष्ट्र में एक मिली-जुली सरकार बनाने की ओर प्रेरित कर रही है. हालांकि, इस मामले पर अभी बातचीत और बैठकों का दौर चल रहा है. लेकिन, राजनीतिक गलियाओं में ऐसी प्रबल चर्चा है कि कांग्रेस परिवार शिवसेना-एनसीपी गठबंधन सरकार को समर्थन दे सकती है.
शिवसेना ने साफ कर दिया है कि उसका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जन संघ, हिंदू महासभा और विश्व हिंदू परिषद से कोई रिश्ता नहीं है. इन संगठनों को महाराष्ट्र में कई दंगों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इसमें 1960 के बाद हुआ मुंबई दंगे, 1984 में हुआ भिवांडी दंगे और 1992-93 में हुए मुंबई दंगे शामिल हैं.
शिवसेना अपने कट्टरपंथी उद्देश्यों और कट्टरपंथी हिंदुत्व विचारधारा की हमेशा से पैरोकार रही है. शिवसेना के अतीत के इस पहलू से कांग्रेस के नेतृत्व को भारी असुविधा हो रही है, कांग्रेस में एके एंटनी और के वेणुगोपाल की 'केरल की लॉबी' सोनिया गांधी को इसे लेकर आगाह भी करते आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पसोपेश में हैं, क्योंकि पार्टी के विधायक शिवसेना-एनसीपी की संभावित गठबंधन वाली सरकार का हिस्सा बनना चाहते हैं. वहीं, केरल की लॉबी ऐसा नहीं होने देना चाहती.वहीं, कांग्रेस विधायकों की राय अलग है. हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका के बीच कांग्रेस विधायकों को जयपुर में शिफ्ट किया गया है. ये सभी विधायक चाहते हैं कि पार्टी शिवसेना-एनसीपी की संभावित सरकार को बाहरी समर्थन दे. साथ ही विधानसभा स्पीकर के पद पर दावेदारी पेश करे और मंत्रीपद के विभागों पर भी मोल-भाव करे.
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केरल 'लॉबी' का विरोध, महाराष्ट्र के विधायकों का मन- शिवसेना को लेकर पसोपेश में सोनिया गांधी
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