संजय राउत: बीजेपी के खिलाफ मुहिम में लगा बाल ठाकरे का वफादार-Loktantra KI Buniyad

पिछले कुछ हफ्तों में संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी पर लगातार हमला बोला है, वहीं दूसरी तरफ शिवसेना के बाकी के नेता चुप्‍पी बनाए हुए हैं। राउत ने न केवल बीजेपी और शिवसेना के बीच आधी-आधी सीटों के बंटवारे से मुकरने पर बीजेपी की आलोचना की है बल्कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से दो बार मुलाकात भी की ताकि एनसीपी और कांग्रेस की सहायता से शिवसेना की अगुआई में एक गठबंधन तैयार किया जा सके। लेकिन संजय राउत के ये हमले केवल अखबार तक ही सीमित नहीं रहे, वे सोशल मीडिया पर भी बीजेपी पर तंज कस रहे हैं। शनिवार को राउत ने कहा था कि अगर बीजेपी सरकार नहीं बना पाती है तो शिवसेना सरकार बनाने के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा था, 'शिवसेना 145 का जादुई आंकड़ा लाएगी। वह सरकार बनाने में सक्षम है। हम तैयार हैं। हमारे पास उन लोगों के लिखित पत्र हैं जो हमें समर्थन देने को तैयार हैं। अगर बीजेपी सरकार बनाने में नाकाम रहती है तो हम उन्‍हें राज्‍यपाल के पास ले जाएंगे।' उन्‍होंने आगे कहा, 'हमारे पास बहुमत है। मैं काल्‍पनिक बातें नहीं कर रहा हूं। हर चीज तैयार है।' क्राइम‍ रिपोर्टर थे संजय राउत पिछले हफ्ते में राउत लगभग एक दर्जन इंटरव्‍यू दे चुके हैं और पवार व उद्धव ठाकरे के घर के कई चक्‍कर चला चुके हैं। 57 साल के राउत तीन बार के राज्‍य सभा सांसद और सामना के कार्यकारी संपादक हैं। सामना जॉइन करने से पहले राउत मराठी साप्‍ताहिक लोक प्रभा के लिए काम करते थे। उन्‍होंने अपने करियर की शुरुआत क्राइम रिपोर्टर के रूप में की थी। 1980 के दशक में गैंगस्‍टर रामा नाइक पर छपी उनकी कवर स्‍टोरी से वह चर्चा में आए। संजय राउत की कलम से प्रभावित हुए बाल ठाकरे संजय राउत की आक्रामक लेखन शैली से प्रभावित होकर शिवसेना के संस्‍थापक बाल ठाकरे ने अशोक पादबीदरी की मृत्‍यु के बाद उन्‍हें सामना का कार्यकारी संपादक नियुक्‍त किया था। सामना में काम करने के दौरान उनकी लेखन शैली में बाल ठाकरे के विचार और बयान इस तरह झलकते थे कि बहुतों को लगता था कि ठाकरे खुद संपादकीय लिखते हैं। ठाकरे राउत से इतने प्रभावित हुए कि उन्‍हें 29 साल की उम्र में ही संपादक बना दिया। तब से उन्‍होंने आज तक पीछे मुड़कर देखा तक नहीं। बेबाक बयान देने के लिए मशहूर लेकिन कई बार राउत पार्टी लाइन के परे जाकर ऐसी बातें कह जाते हैं जिनकी वजह से शिवसेना को शर्मिंदा होना पड़ा है। साल 2014 में सामना के एक संपादकीय में गुजराती समुदाय पर आरोप लगाया गया था कि शहर और महाराष्‍ट्र से कोई जुड़ाव बनाए बिना वह कमाई करने के लिए मुंबई का शोषण कर रहा है। उद्धव और आदित्‍य की नाराजगी भी झेली साल 2014 के बाद से जब शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा, बाद में बीजेपी की अगुआई वाली सरकार में शामिल हुई, तब से अब तक संजय राउत सरकार और पार्टी की नीतियों के मुखर आलोचक रहे हैं। इस साल मई में राउत के बुर्का बैन करने की मांग वाले बयान से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और युवा सेना प्रमुख आदित्‍य ठाकरे इतने नाराज हो गए थे कि भविष्‍य में ऐसा दोबारा होने पर अनुशासनात्‍मक कार्रवाई तक की बात कह डाली थी। बाल ठाकरे पर बनवाई एक‍ फिल्‍म लेकिन राउत बाल ठाकरे के वफादार के रूप में जाने जाते हैं। इस साल जनवरी में उन्‍होंने बाल ठाकरे के जीवन पर एक फिल्‍म बनाई जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने बाल ठाकरे की भूमिका निभाई थी। साल 2015 में उन्‍होंने एक और फिल्‍म 'बालकाडू' बनाई थी जिसमें दिखाया गया था कि आम शिवसेना कार्यकर्ता किस तरह बाल ठाकरे के जीवन और विचारों से प्रभावित होता है।
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