इस्लामाबाद : ब्रिक्स सम्मेलन में फजीहत होने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आगाह किया है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश शर्मिंदगी का सामना करता रहेगा. यह पहला ऐसा मौका है जब पाक की तरफ से किसी ने स्वीकार किया है कि उनकी धरती आतंकियों के लिए पनाहगाह बना हुआ है. आसिफ का बयान ब्रिक्स में पहली बार पाकिस्तान से संचालित हो रहे एलईटी और जेईएम जैसे प्रतिबंधित संगठनों का नाम लिए जाने के दो दिन बाद आया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों के लिये 'पनाह' होने के लिये पाकिस्तान की आलोचना की थी. आसिफ ने पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा और जेईएम समेत अन्य प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के अस्तित्व को स्वीकार किया. आसिफ ने मंगलवार (5 सितंबर) को जियो न्यूज से बातचीत में कहा, 'हमें अपने मित्रों से कहने की आवश्यकता है कि हमने अपना बर्ताव सुधार लिया है. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करने से बचने के लिये अपने तौर-तरीके में सुधार करना है.'
आसिफ का बयान चीनी नेतृत्व से मिलने के लिये अपनी बीजिंग यात्रा से कुछ दिन पहले आया है. आसिफ के अनुसार ब्रिक्स घोषणापत्र को चीन का आधिकारिक रुख नहीं समझा जाना चाहिये क्योंकि रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी समूह का हिस्सा हैं. श्यामन में ब्रिक्स घोषणा पत्र में लश्कर-ए-तैयबा और जेईएम को शामिल किया जाना पाकिस्तान के लिये झटका माना जा रहा है क्योंकि चीन ने पिछले साल गोवा में ब्रिक्स की बैठक में परिणामी दस्तावेज में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का नाम लिये जाने के प्रयासों को अवरुद्ध किया था.
हालांकि आसिफ ने कहा, 'मित्रों की हमेशा परीक्षा नहीं ली जानी चाहिये, खासतौर पर बदले हुए परिदृश्य में. इसकी बजाय हमें लश्कर और जैश जैसे तत्वों की गतिविधियों पर कुछ पाबंदी लगानी चाहिये ताकि हम विश्व समुदाय को दिखा सकें कि हमने अपनी व्यवस्था में सुधार किया है.' उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान को अपनी चीजें ठीक करनी चाहिए क्योंकि पूरी दुनिया हमारी तरफ ऊंगली उठा रही है.
उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि मैं कोई राजनीतिक बयान नहीं दे रहा हूं बल्कि आपको एक तथ्य बता रहा हूं. हम इस तरह की शर्मिंदगी का सामना तब तक करते रहेंगे जब तक हम इन आतंकवादी संगठनों के प्रति अपनी आंखें बंद रखेंगे. आसिफ ने कहा कि हमें अपने अतीत से छुटकारा पाना होगा. साल 1979 में हमने एक गलत निर्णय लिया और अगले पूरे एक दशक तक छद्म (प्रोक्सी) की तरह काम किया. वहीं फिर 9/11 के बाद एक फिर गलत निर्णय लेकर हम उस युद्ध में शामिल हो गए जो हमारा कभी था ही नहीं. हमें इस युद्ध के कारण अनगिनत लोगों और संपत्तियों का नुकसान हुआ.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने अपने हिस्से का काम किया लेकिन क्या हमने अपने हिस्से का काम किया? आसिफ ने कहा कि दुनिया को इस बात पर विश्वास दिलाने की जरूरत है कि पाकिस्तान का आतंकवाद से कुछ लेना-देना नहीं है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों के लिये 'पनाह' होने के लिये पाकिस्तान की आलोचना की थी. आसिफ ने पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा और जेईएम समेत अन्य प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के अस्तित्व को स्वीकार किया. आसिफ ने मंगलवार (5 सितंबर) को जियो न्यूज से बातचीत में कहा, 'हमें अपने मित्रों से कहने की आवश्यकता है कि हमने अपना बर्ताव सुधार लिया है. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करने से बचने के लिये अपने तौर-तरीके में सुधार करना है.'
आसिफ का बयान चीनी नेतृत्व से मिलने के लिये अपनी बीजिंग यात्रा से कुछ दिन पहले आया है. आसिफ के अनुसार ब्रिक्स घोषणापत्र को चीन का आधिकारिक रुख नहीं समझा जाना चाहिये क्योंकि रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी समूह का हिस्सा हैं. श्यामन में ब्रिक्स घोषणा पत्र में लश्कर-ए-तैयबा और जेईएम को शामिल किया जाना पाकिस्तान के लिये झटका माना जा रहा है क्योंकि चीन ने पिछले साल गोवा में ब्रिक्स की बैठक में परिणामी दस्तावेज में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का नाम लिये जाने के प्रयासों को अवरुद्ध किया था.
हालांकि आसिफ ने कहा, 'मित्रों की हमेशा परीक्षा नहीं ली जानी चाहिये, खासतौर पर बदले हुए परिदृश्य में. इसकी बजाय हमें लश्कर और जैश जैसे तत्वों की गतिविधियों पर कुछ पाबंदी लगानी चाहिये ताकि हम विश्व समुदाय को दिखा सकें कि हमने अपनी व्यवस्था में सुधार किया है.' उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान को अपनी चीजें ठीक करनी चाहिए क्योंकि पूरी दुनिया हमारी तरफ ऊंगली उठा रही है.
उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि मैं कोई राजनीतिक बयान नहीं दे रहा हूं बल्कि आपको एक तथ्य बता रहा हूं. हम इस तरह की शर्मिंदगी का सामना तब तक करते रहेंगे जब तक हम इन आतंकवादी संगठनों के प्रति अपनी आंखें बंद रखेंगे. आसिफ ने कहा कि हमें अपने अतीत से छुटकारा पाना होगा. साल 1979 में हमने एक गलत निर्णय लिया और अगले पूरे एक दशक तक छद्म (प्रोक्सी) की तरह काम किया. वहीं फिर 9/11 के बाद एक फिर गलत निर्णय लेकर हम उस युद्ध में शामिल हो गए जो हमारा कभी था ही नहीं. हमें इस युद्ध के कारण अनगिनत लोगों और संपत्तियों का नुकसान हुआ.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने अपने हिस्से का काम किया लेकिन क्या हमने अपने हिस्से का काम किया? आसिफ ने कहा कि दुनिया को इस बात पर विश्वास दिलाने की जरूरत है कि पाकिस्तान का आतंकवाद से कुछ लेना-देना नहीं है.
0 comments:
Post a Comment