सीबीआई ने शुरू की दीपक कोचर के खिलाफ प्रारंभिक जांच प्रक्रिया - cbi started preliminary enquiry icici chanda kochachar venugopal dhoot

नई दिल्ली: वीडियोकॉन लोन मामले में सीबीआई ने दीपक कोचर के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है. वीडियोकॉन समूह को दिए गए एक लोन मामले में कोचर और उनके परिवार के सदस्यों की कथित संलिप्तता की खबरें आई थीं, जिसके बाद सीबीआई ने शुक्रवार को दीपक कोचर के खिलाफ जांच प्रक्रिया शुरू की.

प्रारंभिक जांच के तहत इस बात का पता लगाया जाएगा कि दीपक कोचर और उनके दो रिश्तेदारों द्वारा बनाई गई फर्म को वीडियोकॉन समूह के वेणुगोपाल धूत ने रिश्वत के रूप में कितने रुपये दिए. साथ ही उन आरोपों की भी जांच होगी, जिसमें कहा जा रहा है कि वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा दी गयी कर्ज सहायता कुछ ले-दे कर दी गयी और इस में कोचर और उनके परिवार के कुछ सदस्यों की कथित संलिप्तता थी.



दरअसल, ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के निवेशक अरविंद गुप्ता ने चंदा कोचर पर आरोप लगाया था कि कोचर ने वीडियोकोन को कुल 4000 करोड़ रुपए के दो ऋण मंजूर करने के बदले में गलत तरीके से निजी लाभ लिया.

रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज में दर्ज जानकारी के मुताबिक ICICI बैंक चीफ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने धूत के साथ मिलकर  दिसंबर 2008 में न्यू पॉवर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) के नाम से साझा कंपनी बनाई. NRPL में धूत, उनके परिवार के सदस्यों और करीबियों के 50 फीसदी शेयर थे.

बाकी शेयर चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और पैसेफिक कैपिटल के नाम थे. पैसेफिक कैपिटल का स्वामित्त्व दीपक कोचर के परिवार के पास ही था. एक साल बाद जनवरी 2009 में धूत ने NRPL के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और अपने करीब 25000 शेयर दीपक कोचर को ट्रांसफर कर दिए. मार्च 2010 में NRPL को सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड से लोन मिला जो कि धूत की ही कंपनी थी.

मार्च 2010 के आखिर तक सुप्रीम एनर्जी ने NRPL का अधिकतर नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया. दीपक कोचर के पास 5 फीसदी शेयर ही रह गए. करीब 8 महीने बाद धूत ने सुप्रीम एनर्जी में अपनी सारी होल्डिंग अपने सहयोगी महेश चंद्र पुंगलिया के नाम कर दी. दो साल बाद पुंगलिया ने सुप्रीम एनर्जी में अपना सारा स्टेक दीपक कोचर की पिनेकल एनर्जी को 9 लाख रुपए में दे दिया.

2012 में दिया 3250 करोड़ का ऋण

अरविंद गुप्ता ने इंडिया टुडे से कहा, 'हमें जानने की जरूरत है कि क्यों दीपक कोचर और धूत ने साझा उपक्रम बनाया और फिर धूत ने उसे छोड़ दिया. हमें जानने की जरूरत है कि मारिशियन कंपनी (डीएच रीन्यूएबल्स) के पीछे असल में कौन लोग हैं.' गुप्ता के संदेह का कारण NRPL को उसी समय विदेशी फंड का बहुतायत में मिलना  है. 

ICICI बैंक ने करीब 4000 करोड़ रुपए ऋण के तौर पर वीडियोकोन ग्रुप को 2010 से 2012 के बीच दिए और डीएच रीन्यूएबल्स ने 325 करोड़ और 66 करोड़ रुपए NRPL में डाले. ICICI बैंक ने 3250 करोड़ 5 वीडियोकॉन कंपनियों को अप्रैल 2012 में दिए. इसके बाद केमेन आईलैंड्स की एक शैल कंपनी को 660 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया.



आईसीआईसीआई बैंक के विवादों में घिरने के बीच बाजार नियामक सेबी ने देखना शुरू किया है कि कहीं इस मामले में सूचनाओं के प्रकाशन या कंपनी संचालन से जुड़ा कोई मामला तो नहीं बनता है.

इसी तरह वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज व इसके प्रवर्तक भी एक मामले में नियामक की निगाह में हैं. यह मामला आईसीआईसीआई बैंक व कुछ सार्वजनिक बैंकों के समूह द्वारा कंपनी को दिए गए कर्ज में कथित प्रतिदान से जुड़ा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि नियामक ने निजी क्षेत्र के इस बैंक द्वारा बीते कुछ साल में किए गए विभिन्न खुलासों में शुरुआती जांच शुरू की है.

वहीं शेयर बाजार भी 2012 तक के कुछ सौदों के संबंध में हालिया रपटों के बारे में अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांग सकते हैं. उल्लेखनीय है कि आईसीआईसीआई बैंक देश का चौथा सर्वाधिक मूल्यवान बैंक है, जिसका बाजार पूंजीकरण लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये है.



ICICI बैंक के बोर्ड ने अपनी एमडी और सीईओ चंदा कोचर पर पूरा भरोसा जताया है. आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष एमके शर्मा ने शुक्रवार को अपनी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर के बचाव में उतरते हुए कहा कि बोर्ड को सीईओ पर पूरा भरोसा है.

साथ ही, उन्होंने वीडियोकॉन समूह को दिए लोन को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को खारिज कर दिया है. शर्मा ने कहा कि बैंक ने कर्ज मंजूरी के लिए अपनी आंतरिक प्रक्रिया की समीक्षा की और उन्हें मजबूत पाया.

उन्होंने कहा कि बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विभिन्न अफवाहों में लगाए गए आरोपों जैसी कोई गड़बड़ी/ भाई भतीजावाद/हितों का टकराव नहीं है. उन्होंने कहा कि बैंक और इसके शीर्ष प्रबंधन की छवि खराब करने के लिए अफवाहें फैलाई जा रही हैं.



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