12,000 अश्वशक्ति वाला इलेक्ट्रोलिक लोकोमोटिव राष्ट्र को समर्पित करेंगे प्रधानमंत्री - pm narendra modi today flag off indias first 12 000 hp electric locomotive from bihar madhepura

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को यहां ‘‘ स्वच्छ भारत मिशन ’’ के स्वच्छाग्रहियों को संबोधित करेंगे और कई रेल योजनाओं को हरी झंडी दिखाएंगे. प्रधानमंत्री का दौरा पिछले साल अप्रैल में बिहार सरकार द्वारा शुरू किये गये चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष समारेाह के समापन के मौके पर हो रहा है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कटिहार-नई दिल्ली सप्ताह में दो बार चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस ट्रेन एक नई द्वि-साप्ताहिक ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, मोतिहारी - मुजफ्फरपुर रेल लाइन के विद्युतीकरण कार्य एवं मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण कार्य की शुरूआत के अलावा मधेपुरा लोकोमोटिव फैक्ट्री द्वारा भारत और फ्रांस के संयुक्त सहयोग से विकसित 12,000 अश्वशक्ति वाला इलेक्ट्रोलिक लोकोमोटिव राष्ट्र को समर्पित किए जाने की संभावना है. आपको बता दें कि लगभग 250 एकड़ क्षेत्र में फैली कारखाने की आधारशिला 2007 में रेल मंत्री लालू प्रसाद ने रखी थी.


पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को बिहार के मधेपुरा के रेल इंजन कारखाने से देश के पहले 12,000 हॉर्सपावर (एचपी) के विद्युत चालित रेल इंजन को रवाना करेंगे. इस लॉन्च के साथ भारत रूस, चीन, जर्मनी और स्वीडन सहित उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा, जिनके पास 12,000 एचपी या इससे ज्यादा की क्षमता वाला विद्युत रेल इंजन हैं. भारतीय रेल के पास अब तक सबसे ज्यादा क्षमता वाला 6,000 एचपी का रेल इंजन रहा है. प्रतिघंटा अधिकतम 110 किलोमीटर की रफ्तार से भारी ढुलाई करने में सक्षम रेल इंजन मालगाड़ियों की रफ्तार और उनके माल ढुलाई की क्षमता में सुधार करेगा.  पीएम मोदी राष्ट्र को फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम के निवेश के साथ संयुक्त उद्यम से बना मधेपुरा कारखाना भी समर्पित करेंगे.


20,000 करोड़ रुपये की परियोजना के अंतर्गत 11 वर्षो की अवधि में कुल 800 उन्नत हॉर्सपावर रेल इंजन बनने की उम्मीद है. 800 रेल इंजन बनाने के अलावा मधेपुरा में कारखाना स्थापित करने और सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और नागपुर (महाराष्ट्र) में दो रेल इंजन रखरखाव डिपो स्थापित करने वाली परियोजना की कुल लागत 1,300 करोड़ रुपये है. हर रेल इंजन की अनुमानित औसत लागत करीब 25 करोड़ रुपये है. 
अनुबंध समझौते के अनुसार, पहले पांच रेल इंजनों का आयात किया जाएगा, जबकि बाकी 795 रेल इंजनों का निर्माण देश में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत किया जाएगा. वर्ष 2019 तक पहले पांच इंजन
एसेंबल किये जाएंगे जबकि शेष 800 इंजन का विनिर्माण मेक इन इंडिया के तहत किया जाएगा. कारखाने में 2021-22 से सालाना 100 इलेक्ट्रिक इंजन का विनिर्माण किया जाएगा. मंत्रालय के मुताबिक20,000 करोड़ रुपये से अधिक अनुमानित लागत वाले इस कारखाने में 35 से अधिक इंजीनियरों का दल दिन-रात इंजन एसेंबल के काम में लगा है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारी-ढुलाई वाले रेल इंजनों को कोयला और लौह अयस्क के परिवहन में इस्तेमाल में लाया जाएगा. 
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment