नई
दिल्ली
:ईरान से तेल आयात को लेकर अमेरिका ने भारत पर भी सख्ती दिखाई है। ऊर्जा के
स्तर पर स्वावलंबी होने की की कोशिश कर रहे भारत के लिए झटका है और
प्रतिबंधों से बचने के लिए उसे अमेरिका के सामने मजबूर भी होना पड़ सकता
है। ऑयल मिनिस्ट्री ने रिफाइनरियों को नवंबर से ईरान से होने वाले तेल
निर्यात में 'बड़ी कमी' के लिए तैयार रहने को कहा गया है। इस मामले से
जुड़े दो लोगों ने इस बात की जानकारी दी है। ऐसे में अमेरिका द्वारा ईरान
पर लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए इसे भारत की प्रतिक्रिया का संकेत माना
जा रहा है। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त अमेरिकी राजदूत
निकी हेली ने अपनी दिल्ली की यात्रा में ईरान को लेकर यूएस के नजरिये से
भारत को स्पष्ट तरीके से अवगत भी करा दिया है। गुरुवार को अपने स्पेशल
अड्रेस में हेली ने कहा, 'ईरान के नाभिकीय हथियारों के खिलाफ विश्व एकजुट
है। हमारे पास इस बात की चिंता के वाजिब कारण हैं कि ईरान उन हथियारों के
साथ क्या करेगा।' हालांकि भारत का कहना है कि यह अमेरिका द्वारा लगाए गए एक
तरफा प्रतिबंधों को नहीं मानता है, बल्कि यूएन के प्रतिबंधों का पालन करता
है। लेकिन इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीन के बाद भारत ही
ईरान के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, ऐसे में भारत की यह संकेतात्मक
प्रतिक्रिया काफी महत्वपूर्ण है। ओबामा प्रशासन के दौरान ही भारत ने ईरान
से तेल आयात में कमी दिखाई थी। भारत ने ईरान से हर छह महीने पर 20 फीसदी की
औसत दर से तेल आयात कम करने की कोशिश की थी। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड
ट्रंप का दबाव है कि इसे जीरो तक जाना चाहिए यानी तेल आयात नहीं। यही वजह
है कि मई के शुरुआती दिनों से इतर इस हफ्ते अमेरिकी विदेश विभाग ने ईरान के
मसले पर की गई ब्रीफिंग में ज्यादा सख्ती दिखाई।
ईरान पर हेली का सख्त संदेश ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने विदेश मंत्री
माइक पॉम्पियो के नॉर्थ कोरिया की यात्रा के मद्देनजर भारत के साथ 2+2
डायलॉग भी टाल दिया है। इस फैसले को एक तरह से भारत को खुले तौर पर तवज्जो
नहीं देने की तरह देखा जा रहा है। वह भी ऐसे समय में जब बढ़ते ट्रेड और
इकनॉमिक विवादों की वजह से द्विपक्षीय संबंध पहले से डंवाडोल चल रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि यह डायलॉग जल्द ही रीशेड्यूल किया जाएगा लेकिन 4 टॉप
मंत्रियों को फिर एक बार एक दिन के लिए साथ लाना चुनौतीपूर्ण होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि
हेली का बयान भारत के संदर्भ में नहीं था बल्कि सारे देशों पर लागू होता
है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी एनर्जी सिक्यॉरिटी सुनिश्चित करने के लिए
हितधारकों से बातचीत जैसे हर जरूरी कदम उठाएगा। हालांकि हेली ईरान को लेकर
स्पष्ट दिखीं। उन्होंने ईरान को तानाशाह मुल्क बताते हुए उसपर आतंकवाद की
फंडिंग और मध्य एशिया में संघर्ष फैलाने का आरोप लगाया है।
बुधवार को पीएम मोदी के साथ बैठक में हेली ने ईरान के साथ तेल आयात तो खत्म
करने पर फिर से बल दिया। एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में इस संदेश को
दोहराते हुए हेली ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत के भविष्य के लिए हम
उन्हें ईरान के साथ उनके रिश्तों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रोत्साहित
करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हम सबको यह सोचने की जरूरत है कि हम किसे
बिजनस के लिए चुनते हैं। हेली ने कहा, मुझे लगता है कि एक दोस्त के नाते
भारत को भी यह तय करना चाहिए।
निकी हेली ईरान और नॉर्थ कोरिया जैसे मसलों पर अमेरिकी सख्ती का चेहरा रहीं
हैं। पिछले दिनों हेली ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अमेरिका के
बाहर होने के फैसले का भी नेतृत्व किया। हेली ने अपने संबोधन में
पाकिस्तान पर भी काफी सख्ती दिखाई। एक तरह से यह भारत को याद दिलाने की
कोशिश थी कि अपने पूर्ववर्तियों से इतर ट्रंप प्रशासन इस्लामाबाद के प्रति
एक दूसरा नजरिया रख रहा है। भारत ने प्रति पाकिस्तान के प्रति अमेरिका के
इस सख्त रुख की तारीफ की है।
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निकी हेली ने ईरान से आयात पर दिखाई सख्ती, भारत पर बढ़ेगा तेल आयात घटाने का दबाव-haley-talks-tough-on-iran-import-curbs-india-may-fall-in-line
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