अगले चीफ जस्टिस कौन? कानून मंत्री बोले, सरकार की नीयत पर संदेह न करें-who-will-be-next-chief-justice-law-minister-said-do-not-doubt-government-intention

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस कौन होंगे, जब यह सवाल कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से किया गया तो उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत पर संदेह नहीं करना चाहिए। सोमवार को कानून मंत्री ने सरकार के चार साल के कामकाज का लेखाजोखा पेश किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनसे पूछा गया कि क्या जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस होंगे? इस पर प्रसाद ने कहा, 'मौजूदा चीफ जस्टिस अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हैं, यह परंपरा रही है। सिफारिश के बाद सरकार उसे देखेगी।' कानून मंत्री ने कहा कि सिफारिश तो आने दिया जाए। सरकार की नीयत पर किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि मौजूदा चीफ जस्टिस के प्रशासनिक कामकाज और केस आवंटन को लेकर चार सीनियर जजों ने सवाल उठाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। इन जजों में जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे। कानून मंत्री ने जजों की नियुक्ति के लिए बनाए जाने वाले MOP (मेमोरैंडम ऑफ प्रोसिजर) के बारे में कहा कि उस बारे में बातचीत चल रही है और अभी फाइनल नहीं हो पाया है। इस बारे में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली कलीजियम ने अपनी सिफारिश सरकार को भेज रखी है और फाइल सरकार के पास है। आधार पर फैसला खिलाफ गया तो? आधार पर कानून मंत्री से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के सामने आधार की संवैधानिक वैधता का मामला पेंडिंग है और फैसला सुरक्षित है ऐसे में अगर फैसला सरकार के खिलाफ जाता है तो स्कीम का क्या होगा। इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह सवाल ही काल्पनिक है। यह बात सबके सामने है कि 121 करोड़ लोगों ने आधार के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिए हैं। 59 करोड़ 95 लाख लोगों ने अपने 87 करोड़ 79 लाख बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करा रखा है ऐसे में आधार की उपयोगिता साबित हो चुकी है। आधार के डेटा फुलप्रूफ होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि आधार के लिए जुटाए गए डेटा के चुनाव आदि में गलत इस्तेमाल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 'तीन तलाक पर कांग्रेस से मांगेंगे सहयोग' तीन तलाक पर कानून मंत्री ने कहा कि इससे संबंधित मुस्लिम विमिन प्रोटेक्शन ऑफ राइट ऑफ मैरिज बिल 2017 को पास कराने के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, बीएसपी सुप्रीमो मायावती व अन्य नेताओं से बातचीत कर आग्रह किया जाएगा कि वे राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर इस मामले में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं के हित में बनाया गया है और उन्हें जेंडर जस्टिस दिया जाना जरूरी है। पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे मुस्लिम देशों में जब इसको लेकर कानून है तो भारत जैसे सेक्युलर देश में क्यों नहीं।
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