नई
दिल्ली :
वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी हुई है, जबकि प्रमुख एशियाई राष्ट्रों की
गति में तेजी आई है। ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट में यह अंदाजा भी लगाया गया है कि यदि नीतियां और इंस्टिट्यूशनल
सेटिंग ऐसी ही रहती हैं तो दुनिया का प्रारूप कैसा होगा। ओईसीडी
(ऑर्गनाइजेशन फॉर इकॉनमिक कॉर्पोरेशन ऐंड डिवेलपमेंट) का कहना है कि 2060
तक कुल ग्लोबल आउटपुट का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा भारत और चीन के पास
होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह काफी चौंकाने वाला है कि आर्थिक शक्ति
केंद्र एशिया में होगा। रिपोर्ट में रोबोट्स को लेकर कम चिंता जताई गई है,
जबकि सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर ज्यादा गौर किया गया है। ओईसीडी का कहना
है कि इस परिदृश्य में यथार्थवाद पूर्वानुमान का जिक्र नहीं किया गया है,
बल्कि उन कुछ चीजों का जिक्र किया है, जो मध्यम और दीर्घकालिक दृष्टिकोण को
आकार दे सकते हैं।
रिपोर्ट में अमेरिका और चीन के बीच अंतर तेजी से बढ़ने की बात भी कही गई
है। ओईसीडी का कहना है कि इससे भविष्य में ट्रेंड बदलेगा, जिससे देशों में
श्रम-दक्षता वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण में दशकों लंबी शुरुआत
होगी। 1990 के औसत टैरिफ पर लौटने से 2060 तक वैश्विक जीवन स्तर मानकों में
14 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। साथ ही कहा गया है कि भारत और चीन समेत
कुछ देशों में मानकों में बढ़ोतरी होगी।
ओईसीडी का कहना है कि पारिवार के लिए ज्यादा खर्च, टैक्स का कम दबाव और
सरकारी कार्यक्रमों की मदद से बेरोजगारी को खत्म करने में भी मदद मिलेगी।
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ओईसीडी का पूर्वानुमान, भारत और चीन के पास होगा ग्लोबल आउटपुट का 50 प्रतिशत- /india-and-china-will-account-for-half-a-global-output
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