जम्‍मू-कश्‍मीर: इस फॉर्मूले से BJP बना सकती है दोबारा सरकार?

श्रीनगर: पीडीपी-बीजेपी सरकार के गिरने के बाद से सूबे की सियासत में पिछले कुछ दिनों से फिर से नया ट्विस्‍ट देखने को मिल रहा है. राजनीतिक विश्‍लेषक अनुमान लगाने लगे हैं कि जल्‍दी ही जम्‍मू-कश्‍मीर में नए सियासी समीकरण उभर सकते हैं. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के तीन नेताओं ने महबूबा मुफ्ती पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए बगावत का बिगुल बजा दिया है. 87 सदस्‍यीय विधानसभा में पीडीपी के 28 विधायक हैं. इस पार्टी के प्रभावशाली शिया नेता और पूर्व मंत्री इमरान अंसारी, उनके अंकल आबिद अंसारी और अब्‍बास वानी ने महबूबा मुफ्ती पर इस तरह के आरोप लगाए हैंदूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद, डॉ कर्ण सिंह, अंबिका सोनी ने राज्‍य के विधायकों और पूर्व विधायकों के साथ बैठक की है. इससे पीडीपी के साथ गठबंधन की चर्चाओं को बल मिला है. सूत्रों के मुताबिक पीडीपी ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से संपर्क साधा है. कांग्रेस फिलहाल पीडीपी के साथ गठबंधन की स्थिति में होने वाले सियासी नफा-नुकसान का आकलन कर रही है. गुलाम नबी आजाद ने हालांकि इस तरह की रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा कि घाटी में कांग्रेस की सहयोगी उमर अब्‍दुल्‍ला के नेतृत्‍व वाली नेशनल कांफ्रेंस हैं. लिहाजा पीडीपी के साथ गठबंधन का कोई सवाल नहीं उठता. ऐसी चर्चाएं भी घाटी में चल रही हैं कि कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस आपस में हाथ मिलाकर सरकार बना सकती हैं. बीजेपी का दांव इस बीच सरकार गिरने के तत्‍काल बाद बीजेपी नेता और पूर्व उपमुख्‍यमंत्री कवींद्र गुप्‍ता का मीडिया को दिया यह बयान एक बार फिर सुर्खियों का सबब बन रहा है जिसमें उन्‍होंने कहा था कि हम भी अपने स्‍तर पर प्रयास (सरकार गठन) कर रहे हैं और जल्‍दी ही इस बारे में आपको जानकारी दी जाएगी. हालांकि उस वक्‍त इसको ज्‍यादा गंभीरता से नहीं लिया गया था लेकिन अब इसके सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. राम माधव का दौरा इस बीच बीजेपी के राष्‍ट्रीय महासचिव राम माधव के हालिया दौरे में पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं के साथ चर्चा के बीच सहयोगी पीपुल्‍स कांफ्रेंस पार्टी के नेता सज्‍जाद गनी लोन के साथ बातचीत के बाद इन कयासों को बल मिला है कि बीजेपी भी अपने दम पर राज्‍य में सरकार बनाने की सोच रही है. सज्‍जाद की पार्टी के दो विधायक हैं और उनको बीजेपी का सहयोगी माना जाता है. सज्‍जाद पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार में बीजेपी के कोटे से ही मंत्री बने थे. अब पीडीपी में बगावत के बाद इस तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं कि पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बागी विधायक अपनी पार्टियों को छोड़ सकते हैं और बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. उल्‍लेखनीय है कि राज्‍य की 87 सदस्‍यीय विधानसभा में पीडीपी के 28, नेशनल कांफ्रेंस के 15, कांग्रेस के 12 और अन्‍य की सात सीटें हैं. राज्‍य में गठबंधन टूटने के बाद फिलहाल गवर्नर शासन लागू है. राज्‍य में बहुमत के लिए 44 विधायकों के समर्थन की दरकार है. निर्दलीय विधायक ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए दिया ये फार्मूला 1984 में हो चुका ऐसा 34 साल पहले इस तरह की परिस्थितियां उस वक्‍त राज्‍य में उत्‍पन्‍न हुई थीं, जब 1984 में फारूक अब्‍दुल्‍ला के नेतृत्‍व में नेशनल कांफ्रेंस सरकार को उनके ही रिश्‍तेदार जीएम शाह ने गिरा दिया था. उसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के बागी विधायकों और कांग्रेस के बाहरी समर्थन से उन्‍होंने सरकार बनाई थी.
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment