नई
दिल्ली
: दिल्ली के चीफ सेक्रटरी (सीएस) अंशु प्रकाश के साथ सीएम हाउस में हुई
कथित मारपीट के मामले में दिल्ली पुलिस ने सीएम अरविंद केजरीवाल व डेप्युटी
सीएम मनीष सिसोदिया के कॉल डीटेल तक खंगाले हैं। देश का यह पहला ऐसा मामला
होगा जब किसी प्रदेश की पुलिस ने अपने ही मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के
कॉल डिटेल्स खंगाले हों। सूत्रों का कहना है कि सीएम व डेप्युटी सीएम को
साजिशकर्ता की भूमिका में रखने वाली दिल्ली पुलिस इस पूरे मामले की
चार्जशीट तैयार कर चुकी है। बस चंद कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करना बाकी
है, जिसके बाद चार्जशीट अदालत में दायर कर दी जाएगी। सूत्र दावा कर रहे हैं
कि एलजी अनिल बैजल से सेंक्शन के अलावा इस बात पर भी राय ली जा रही है कि
चार्जशीट दाखिल करने से पहले राष्ट्रपति से मंजूरी लेनी चाहिए या नहीं।
पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सीएस अंशु प्रकाश मामले में जो
फाइनल चार्जशीट बनकर तैयार हुई है, वह लगभग 850 से 900 पेज की है। इसका रफ
ड्राफ्ट करीब ढाई हजार पन्नों का था जिसे एडिट करके इतना बनाया गया। इस
केस के लिए नियुक्त किए गए सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मोहित माथुर अब इस
चार्जशीट को वेरिफाई कर रहे हैं। इसमें कानूनी पहलुओं को देखते हुए कुछ
बदलाव अंतिम समय में किए भी जा सकते हैं। पुलिस सूत्र दावा कर रहे हैं कि
इसे बेहद गहन व बारीक जांच के बाद हर पहलू को ध्यान में रखते हुए तैयार
किया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री
व उपमुख्यमंत्री के खिलाफ उन्हीं के कुछ विभागों के प्रमुख सचिव व सचिव
गवाह बने हैं, जिन्होंने आरोप लगाए हैं कि आप सरकार के मुखिया का रवैया
आईएएस व दानिक्स अधिकारियों के प्रति कठोर रहता है। पुलिस अधिकारी ने
फिलहाल इन अधिकारियों के नाम का खुलासा करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया
कि इन अधिकारियों ने नाम गुप्त रखने की गुजारिश की गई है। इसका खुलासा
सिर्फ अदालत में किया जाएगा, वह भी चार्जशीट के माध्यम से।
खाना नंबर 11 में रखा है केजरीवाल, सिसोदिया व विधायकों का नाम
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सीएस मारपीट मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल,
डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया, विधायक प्रकाश जारवाल, राजेश ऋषि, ऋतुराज,
मदनलाल, अमानतुल्लाह खान, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, दिनेश मोहनिया, संजीव
झा, राजेश गुप्ता और नितिन त्यागी को आरोपी बनाया गया है। अमानतुल्लाह व
प्रकाश जारवाल के खिलाफ पुलिस ने सीएस के साथ मारपीट करने व धमकी देने की
धाराएं भी लगाई हैं। अन्य सभी को साजिश रचने व उसमें शामिल होने की धारा
120बी के तहत बुक किया गया है। सभी के नाम चार्जशीट के खाना नंबर 11 में
रखे हैं।
सीएम के खिलाफ क्या अहम सबूत होने का दावा किया पुलिस ने
सूत्रों के अनुसार इस मामले में सीएम, डेप्युटी सीएम के अलावा 11 विधायकों
से पूछताछ की गई है। दो विधायकों अमानतुल्लाह व प्रकाश जारवाल को मारपीट व
धमकी देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में इनमें से किसी ने
सीएस के साथ मारपीट करने या मारपीट होने की बात स्वीकार नहीं की है लेकिन
इस मामले में जो सबसे अहम सबूत पुलिस के पास हैं, वे हैं मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल के पूर्व सलाहाकार वीके जैन। उन्हें मुख्य गवाह बनाया गया
है। उन्होंने मैजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज
कराए हैं कि उनके सामने सीएस के साथ मारपीट की गई। सीएस का चश्मा गिर गया
था। उस समय जो-जो लोग कमरे में मौजूद थे, उन सबके नाम भी वीके जैन ने बताए।
सरकारी विभागों के कुछ आईएएस अधिकारी
सूत्रों के अनुसार सरकार के विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव व सचिव स्तर के
अधिकारी भी इस मामले में इंडिपेंडेंट विटनेस की सूची में रखे गए हैं। इन
अधिकारियों ने बताया कि सीएम व डिप्टी सीएम का रवैया उनके प्रति अच्छा नहीं
रहता। मीटिंग आदि में ये लोग अधिकारियों से नकारात्मक व्यवहार करते हैं।
इनके विधायक भी उसी तरह से पेश आते हैं। पुलिस का कहना है कि आईएएस अधिकारी
देश की सर्वोच्च सर्विसेज का हिस्सा हैं। ऐसे में उनकी बात मानें तो
शिकायतकर्ता अंशु प्रकाश के आरोपों को बल मिलता है कि उनके साथ मारपीट व
बदसलूकी की गई होगी।
सीसीटीवी की एफएसएल रिपोर्ट
पुलिस के अनुसार एफएसएल की रिपोर्ट में बस इतना कहा गया है कि सीसीटीवी का
समय सही नहीं था, वह लगभग 40 मिनट पीछे चल रहे थे। यह बात नहीं बताई गई है
कि कैमरों के समय के साथ कब छेड़छाड़ की गई। हालांकि पुलिस ने सीएम हाउस के
इंस्पेक्शन के दौरान इस बात का पता लगा लिया था कि कैमरे पीछे चल रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि कैमरों का समय से पीछे चलना, इस बात का संदेह पैदा
करता है कि आखिर कैमरों का समय सही क्यों नहीं रखा गया। क्या कैमरों की
फुटेज को डिलीट आदि करने के लिए ऐसा किया गया? दूसरा प्रश्न यह उठता है कि
आखिर समय को पीछे ही क्यों रखा गया, आगे क्यों नहीं?
सीएस की शिकायत पर विश्वास क्यों नहीं किया जाए
पुलिस अधिकारी ने बताया कि सीएस अंशु प्रकाश दिल्ली के सीनियर मोस्ट आईएएस
अधिकारी हैं। वह बेहद जिम्मेदार पद पर हैं। जब वह खुद पर प्रताड़ना का आरोप
लगा रहे हैं तो ऐसे में उन पर संदेह क्यों किया जाए,वह भी तब जब उन्होंने
शिकायत के साथ शपथ पत्र भी दाखिल किया है।
सीआरपीसी की धारा 195 के तहत मांगी है एलजी से सेंक्शन
कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने से पहले दिल्ली पुलिस ने सीआरपीसी की धारा
195 के तहत एलजी अनिल बैजल से सेंक्शन मांगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस
मामले में सीएस जो आईएएस अधिकारी हैं, वह शिकायतकर्ता हैं। अगर किसी
आपराधिक मामले में शिकायतकर्ता सरकारी अधिकारी हो तो उस मामले में चार्जशीट
दाखिल करने से पहले उसकी कॉम्पिटेंट अथॉरिटी से सेंक्शन लेनी होती है,
इसलिए इस मामले में एलजी से सेंक्शन मांगी गई है।
राष्ट्रपति से सेंक्शन लेने पर मांगी है कानूनी राय
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में आरोपी की श्रेणी में मुख्यमंत्री,
उपमुख्यमंत्री व विधायक हैं। जो मीटिंग हुई वह सीएम हाउस के अंदर हुई थी।
सीआरपीसी की धारा 197 की बात करें तो अगर किसी पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ
पब्लिक सर्विस करते हुए किसी अपराध को करने के मामले में चार्जशीट दाखिल
करनी हो, तो ऐसे में उसकी कॉम्पिटेंट अथॉरिटी से सेंक्शन लेनी चाहिए। सीएम
आदि की कॉम्पिटेंट अथॉरिटी देश के राष्ट्रपति होते हैं लेकिन यहां इस बात
को लेकर उलझन बनी हुई है कि जो मीटिंग सीएम आवास के ड्राइंग रूम में हुई
थी, उसे पब्लिक सर्विस माना जाए या नहीं? क्योंकि उसके कोई मिनट आदि नहीं
मिले हैं और न ही वह सरकारी ऑफिस में हुई। इसलिए पुलिस ने इस विषय पर
कानूनी राय मांगी है। अगर जरूरत हुई तो चार्जशीट दाखिल करने से पहले
राष्ट्रपति की सेंक्शन भी ली जाएगी।
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