नई दिल्ली
कश्मीर में आतंकियों से निपटने के लिए अब आर्मी ने गांवों की डिजिटल मैपिंग पर काम शुरू किया है। शुरुआत में यह कुछ चिन्हित इलाकों के लिए की जा रही है, जो संवेदनशील इलाके हैं। इसमें ज्यादातर साउथ कश्मीर के गांव हैं। डिजिटल मैपिंग के जरिए सेना को आतंकियों को घेरने और उन्हें ठिकाने लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही आतंकियों के खिलाफ चलाए जाने वाले ऑपरेशन में सेना के जवान ज्यादा सेफ रह पाएंगे।
हालांकि कश्मीर के गांवों की मैपिंग की गई है लेकिन यह अभी कागजों में ही है। इसे समय समय पर सूचना के आधार पर अपडेट किया जाता है। मैपिंग से आतंकियों को घेरने में उस जगह की असल स्थिति और नक्शे का अंदाजा रहता है। जब सेना कॉर्डन ऐंड सर्च ऑपरेशन चलाती है तब भी मैपिंग के जरिए मदद मिलती है। इससे पता चलता है कि कहां-कहां तलाशी लेनी है। साथ ही जब कभी इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर सेना आतंकियों की घेराबंदी करती है तो मैपिंग के जरिए सेना अपनी रणनीति तैयार करती है, जिससे आतंकियों को भागने का मौका न मिल पाए।
कागजों में जो मैपिंग है उससे सेना अनुमान लगाती है, लेकिन जब यह मैपिंग डिजिटल हो जाएगी तो इसमें हर छोटी-बड़ी डिटेल मिलेगी। ऑपरेशन से पहले उस इलाके की बारीकी समझ ली जाएगी, जो सेना के लिए काफी मददगार साबित होगी। अभी घाटी के कुछ गांवों की डिजिटल मैपिंग का ही काम शुरू हुआ है। पहले उन एरिया को फोकस किया जा रहा है जो इंटेलिजेंस इनपुट के हिसाब से आतंकियों की पनाहगाह रहे हैं या जहां रेडिकलाइजेशन ज्यादा हुआ है।
इसके बाद इसके विस्तार की योजना है। सुरक्षा एजेंसी सूत्रों के मुताबिक कई बार जब इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर सर्च ऑपरेशन चलाया जाता है तो उस जगह के सही नक्शे का अंदाजा नहीं होने का फायदा आतंकी उठाते हैं। जब डिजिटल मैपिंग हो जाएगी तो जगह को पिनपॉइंट करके ऑपरेशन चलाने में मदद मिलेगी।
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आर्मी कर रही है कश्मीर की डिजिटल मैपिंग, आतंकियों को दबोचने में मिलेगी मदद-digital-mapping-of-kashmir
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