नई दिल्ली:
रूस के साथ मिलकर 2 लाख करोड़ रुपये की लागत से फाइटर जेट तैयार करने के प्रॉजेक्ट से भारत ने बाहर निकलने की इच्छा जताई है। भारत ने रूस के साथ 5वीं जनरेशन के फाइटर जेट्स तैयार करने के प्रॉजेक्ट को लेकर कहा कि इसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है। सूत्रों ने कहा कि भारत ने अधिक लागत की वजह से ही रूस से इस पर आगे न बढ़ने की बात कही है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के बीच इस बहुत ही महत्वाकांक्षी परियोजना पर बातचीत अभी तक स्थगित नहीं हुई है क्योंकि भारत दोनों देशों के बीच उचित लागत को साझा करने का कोई फॉर्म्युला निकालने पर लड़ाकू विमान के सह-विकास पर फिर से विचार करने के लिए तैयार है। सूत्रों के मुताबिक यदि दोनों देशों के बीच इस प्रॉजेक्ट की कॉस्ट को शेयर करने को लेकर कोई फॉर्म्युला तय हो जाता है तो फिर आगे बढ़ा जा सकता है। दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के मकसद से भारत और रूस के बीच 2007 में संयुक्त रूप से फाइटर जेट तैयार करने को लेकर यह करार हुआ था।
हालांकि यह प्रॉजेक्ट बीते 11 सालों से दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर असहमतियों के चलते अटका हुआ है। अब तक दोनों देशों के बीच इस प्रॉजेक्ट की लागत, एयरक्राफ्ट तैयार करने में इस्तेमाल होने वाली तकनीक और तैयार होने वाले एयरक्राफ्ट्स की संख्या को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी है। सूत्रों ने कहा कि इस प्रॉजेक्ट पर 30 अरब डॉलर यानी करीब 2 लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान लगाया गया है।
रूस के साथ इस प्रॉजेक्ट को लेकर बातचीत में शामिल एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'हमने प्रॉजेक्ट की लागत से लेकर तमाम मसलों पर अपनी राय रख दी है। रूसी पक्ष की ओर से अब तक कोई समाधान नहीं दिया जा सका है।' गौरतलब है कि भारत ने फाइटर जेट्स की शुरुआती डिजाइन के लिए 295 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि देने पर सहमति जताई थी।
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रूस के साथ पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना पर पुनर्विचार कर रहा है भारत-india-reconsidering-rs-2-lakh-crore
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