कोलकाता
:पश्चिम बंगाल में चिकित्सा व्यवस्था कितनी दुरुस्त है इसकी पोल तब
खुली जब चार साल के बच्चे के गले में फंसा 1 रुपये का सिक्का निकालने
में परिवार को कई अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ गए। दोपहर से इलाज के लिए
भटक रहे परिवार को चार अस्पतालों से मायूसी हाथ लगी। आखिरकार देर रात
कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में एंडोस्कॉपी के जरिए बच्चे के गले से
सिक्का निकाला जा सका। बता दें कि गले में फंसा हुआ सिक्का निकालने में
मेडिकल कॉलेज समेत कई बड़े हॉस्पिटल नाकाम रहे। यह मामला शनिवार का है
जब नादिया जिले के गंगापुर इलाके में रहने वाले मासूम अर्घ्य बिस्वास ने
एक रुपये का सिक्का खेलते समय निगल लिया। बच्चे के दादा दिनेश
बिस्वास उसे शहर के अलग-अलग हॉस्पिटल लेकर भटकते रहे लेकिन उन्हें कहीं
भी इलाज नहीं मिला। अंत में जब वह एसएसकेएम हॉस्पिटल पहुंचे तो वहां पर
सफल इलाज हुआ।
बच्चे के दादा ने बताया, 'अर्घ्य घर में अकेले खेल रहा था। इसी दौरान उसको
एक रुपये का सिक्का मिल गया और उसने इसे निगल लिया। सिक्का गले में अटकने
से वह हांफने लगा। उसे भयंकर दर्द हो रहा था।'
काटते रहे अस्पतालों के चक्कर
दादा दिनेश ने बताया, 'शनिवार दोपहर 2 बजे के करीब हम कल्याणी कॉलेज ऑफ
मेडिसिन और जेएनएम हॉस्पिटल पहुंचे। इन दोनों हॉस्पिटल के डॉक्टरों
ने एंडोस्कॉपिक विधि से गले में फंसा हुआ सिक्का निकलवाने की सलाह दी।'
डॉक्टरों ने अर्घ्य के दादा दिनेश को बताया कि ऐक्स रे से पता चल गया है
कि सिक्का कहां फंसा है लेकिन इस विधि से सर्जरी के लिए उनके पास जरूरी
उपकरण मौजूद नहीं हैं। डॉक्टरों ने बच्चे को लेकर एनआरएस हॉस्पिटल या
फिर मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दी। जब वह बच्चे को लेकर रात करीब 10 बजे
एनआरएस हॉस्पिटल पहुंचे तो वहां भी उन्हें डॉक्टरों से कोई मदद नहीं
मिल सकी।
अर्घ्य के दादा दिनेश के मुताबिक बच्चे की मां का देहांत कुछ समय पहले
हुआ है। उसकी देखभाल के लिए घर में कोई नहीं है। एक के बाद एक अस्पताल के
चक्कर काटते हुए दिनेश पहले मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां भी डॉक्टरों ने हाथ
खड़े कर दिए। इसके बाद रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान में भी उन्हें
निराशा हाथ लगी।
एसएसकेएम हॉस्पिटल में मिली मदद
दिनेश ने बताया, 'दर्द से तड़पते हुए बच्चे को लेकर रात 2 बजे हम
एसएसकेएम हॉस्पिटल पहुंचे, तो वहां डॉक्टरों ने तत्काल बच्चे के गले में
फंसा सिक्का निकालने के लिए एंडोस्कॉपी की प्रक्रिया शुरू की। इस विधि
के जरिए सिक्के को गले से निकाला गया। हम एसएसकेएम के डॉक्टरों के
शुक्रगुजार हैं। अब अर्घ्य की हालत पहले से थोड़ा बेहतर है। हालांकि अभी वह
ठीक से बात नहीं कर पा रहा है।'
एसएसकेएम हॉस्पिटल के ईएनटी विभाग के हेड डॉ अरुणाभा सेनगुप्ता ने
बताया, 'अर्घ्य की हालत में पहले के मुकाबले अब सुधार हो रहा है और हम उसे
जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे देंगे।'
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बच्चे के गले में फंसा 1 रुपये का सिक्का, इलाज से 4 अस्पतालों ने किया इनकार- one-rupees-coin-stuck-in-childs-throat
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