डस्टबिन में फेंकी गई दवाएं आपको बना रही हैं बीमार- medicines-and-antibiotics-discarded

नई दिल्ली :हम सभी के घर में ऐसी कई दवाएं होती हैं जिनका हम इस्तेमाल नहीं करते और इसके कई कारण हो सकते हैं। उदाहण के लिए- डॉक्टर की लिखी दवा आप खरीद कर तो ले आए लेकिन खाई नहीं, जितना दवा प्रिस्क्राइब की गई थी उससे ज्यादा दवा खरीद ली या फिर घर के मेडिकल बॉक्स में इमरजेंसी के लिए रखी गई दवाएं। अब सवाल यह उठता है कि वैसी दवाएं जो unused हैं उनका आप क्या करते हैं? ऐसी दवाओं को सीधे डस्टबिन में फेंकने की बजाए उनका सही तरीके से निपटारा होना बेहद जरूरी है ताकि यह गलत हाथों में न पड़े खासकर बच्चों के हाथ में। दवाओं को फ्लश करने की FDA की अनुशंसा एक्सपर्ट्स और अनुसंधानकर्ताओं का सुझाव है कि कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जिन्हें फ्लश कर आप डिस्पोज कर सकते हैं। यूएस फूड ऐंड ड्रग असोसिएशन FDA ने अनुशंसा की है अनयूज्ड दवाओं को तुरंत फ्लश कर देना चाहिए, खासतौर पर उन दवाओं को जिनमें निर्देश लिखा रहता है कि 'अगर इस्तेमाल में न आए तो तुरंत फ्लश कर दें।' FDA की मानें तो इस तरह की दवाओं को फ्लश करने से वातावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि अब FDA के इस सुझाव पर सवाल उठने लगे हैं। वातावरण संबंधित संगठनों की मानें तो अनयूज्ड दवाओं को फ्लश करने की वजह से वे पानी में मिलकर जानवरों के साथ ही पेड़ पौधों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। यमुना के पानी में मिले ऐंटिबायॉटिक्स के नमूने हाल ही में एम्स की तरफ से करवाई गई स्टडी में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि यमुना नदी के पानी के सैम्पल्स में ऐंटिबायॉटिक्स के नमूने पाए गए। यमुना नदी के इस पानी को दिल्ली में वजीराबाद और कालिंदी कुंज समेत 6 अलग-अलग जगहों से लिया गया था। यमुना के पानी में मुख्य रूप से 3 तरह के ऐंटिबायॉटिक्स पाए गए जिनका इस्तेमाल यूरीन इंफेक्शन, सांस संबंधी इंफेक्शन, निमोनिया और स्कार्लेट फीवर के इलाज में किया जाता है। यह स्थिति बेहद खतरनाक है क्योंकि जिन बीमारियों के इलाज में इन ऐंटिबायॉटिक्स के इस्तेमाल होता है वे बीमारियां भविष्य में इन ऐंटिबायॉटिक्स के प्रति रेजिस्टेंट हो जाएंगी। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा सामान्य तौर पर एक इंसान एक महीने में 2 ग्राम से 34 ग्राम तक बायोऐक्टिव कम्पाउंड्स का सेवन करता है जो फूड प्रिजर्वेटिव्स के साथ ही दवाईओं के जरिए हमारे शरीर में पहुंचता है। इन बायोऐक्टिव कम्पाउंड्स का निपटारा जब पानी में कर दिया जाता है तो बाद में इन्हीं की वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी होती हैं। लिहाजा लोगों को सही दिशा निर्देश देना बेहद जरूरी है कि ताकि उन्हें बताया जा सके कि unused दवाओं का निपटारा कैसे करना है। तभी वातावरण के साथ ही इंसानों को भी किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जा सकेगा।
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