भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हुई वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारियों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि विरोध लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, यदि प्रेशर कुकर में सेफ्टी वॉल्व नहीं होगा तो वो फट सकता है.
बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर, देवकी जैन, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे और मजा दारूवाला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई थी. जिस पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, दुष्यंत दवे, राजू रामचंद्रन, प्रशांत भूषण, और वृंदा ग्रोवर, वहीं सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता मौजूद थे.
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच के सामने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पुलिस की एफआईआर में गिरफ्तार लोगों का कोई जिक्र ही नहीं है और ना ही आरोपियों के ऊपर किसी तरह की मीटिंग करने का आरोप है.
सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तार लोगों में से एक (सुधा भारद्वाज) ने अपनी अमेरिकी नागरिकता छोड़ते हुए भारत में वकालत करने को अपने पेशे के तौर पर चुना, वह दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ाती भी हैं. लेकिन बड़ा मामला सरकार से असहमति का है.
वहीं सिंघवी का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता ने कहा जिन लोगों का इस केस से कोई लेना नहीं है वे (याचिकाकर्ता) सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हैं. जिस पर सिंघवी ने कहा कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा सुनिश्चित जीने के अधिकार और आजादी के अधिकार से जुड़ा है. लिहाजा इन गिरफ्तारीयों पर रोक लगाई जाए.
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SC की कड़ी टिप्पणी, विरोध को रोकेंगे तो लोकतंत्र टूट जाएगा- sc-says-on-bhima-koregaon-arrests
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