पंजाब में कैप्टन अमरिंदर लाए PAK जैसा कानून, ईशनिंदा पर उम्रकैद का प्रावधान

नवजोत सिंह सिद्धू के इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान जाने और वहां के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिलने के विवाद से अभी पंजाब कांग्रेस उबरी भी नहीं थी कि सूबे के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान जैसा कानून लाकर विवाद को और हवा दे दी है. कैप्टन अमरिंदर पंजाब में पाकिस्तान की तरह का ईशनिंदा कानून लेकर आए हैं, जिसके तहत धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने पर उम्रकैद की सजा तक मिल सकती है. दरअसल, मंगलवार को पंजाब कैबिनेट ने धार्मिक ग्रंथों का अनादर करने के दोषियों को उम्रकैद की सजा देने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में संशोधनों के प्रस्ताव वाले विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी. इसको पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून की तरह कठोर बताया जा रहा है. हालांकि अमरिंदर सरकार का कहना है कि सरकार राज्य में बेअदबी की घटनाओं पर लगाम लगाने और सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने के लिए यह कानून लेकर आई है. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया. पंजाब सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने IPC की धारा 295-AA जोड़ने को मंजूरी दे दी है, ताकि लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने की मंशा से गुरु ग्रंथ साहिब, श्रीमद्भगवतगीता, पवित्र कुरान और पवित्र बाइबल को ठेस या नुकसान पहुंचाने वाले या अनादर करने वाले को उम्रकैद की सजा मिल सके. प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब विधानसभा के आगामी सत्र में सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2018 और आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2018 को पेश किया जाएगा. इसके अलावा कैबिनेट ने 14वीं विधानसभा के 12वें सत्र में पारित हो चुके सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2016 और आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2016 को वापस लेने की भी स्वीकृति दे दी. उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने कई अन्य विधेयकों को विधानसभा के आगामी सत्र में सदन में पेश करने को भी मंजूरी दी है. गौरतलब है कि साल 2016 में पंजाब में जब शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार थी, तो राज्य विधानसभा ने सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक-2016 और आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक- 2016 पारित किया था. गुरु ग्रंथ साहिब के अनादर के दोषियों को उम्रकैद की सजा देने के लिए उस वक्त संशोधन विधेयक पारित किया गया था. बहरहाल, बाद में केंद्र सरकार ने कथित तौर पर संशोधन पर ऐतराज जताते हुए राज्य सरकार से कहा था कि उम्रकैद की सजा किसी एक धर्म के पवित्र ग्रंथ के अपमान तक ही सीमित नहीं रह सकती, बल्कि इसे हर धर्म के ग्रंथों के अपमान के मामले में लागू किया जाना चाहिए. पंजाब में हाल के वर्षों में धार्मिक ग्रंथों के अनादर की कुछ घटनाएं घटी हैं और पिछले साल विधानसभा चुनाव में यह चुनावी मुद्दा भी बना था.
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