उत्तर प्रदेश के कासगंज कस्बे में इस साल गणतंत्र दिवस पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बारे में एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अहम खुलासे किए हैं. इस रिपोर्ट में योगी सरकार पर एफआईआर दर्ज करने से लेकर जांच में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
पत्रकार अजीत साही ने इस रिपोर्ट में अब तक की पुलिस जांच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. साही का कहना है कि एफआईआर दर्ज करने के समय से ही पुलिस ने आरोपियों का पक्ष लिया.
इस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी और कम से कम 28 मुस्लिमों की गिरफ्तारी हुई थी. यह हिंसा तब हुई थी जब मुस्लिम युवकों का एक समूह गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर रहा था और उसी वक्त बाइक सवार कुछ हिंदू लड़के रैली करते उधर से निकल रहे थे.
एक केस में दो तरह की एफआईआर
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक घटना के लिए दो तरह की एफआईआर दर्ज की गई. एक एफआईआर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के लिए, तो दूसरी मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के लिए. बाद में हिंदुओं को तो छोड़ दिया गया लेकिन मुस्लिम सलाखों के पीछे बंद रखे गए.
रैली करने वाले दो हिंदू युवकों ने फैक्ट फाइंडिंग टीम को बताया कि असल में हिंदू ही मुस्लिम युवकों के कार्यक्रम में जबरन अंदर घुसे. इसके सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध होने के बावजूद पुलिस ने इसकी छानबीन नहीं की.
हिंदुओं को बेल, मुस्लिमों को जेल
अनुकल्प चौहान नाम के शख्स ने बाइक रैली की अगुआई की थी. पुलिस हालांकि कहती रही है कि चौहान उस वक्त मौजूद नहीं था लेकिन अगले दिन चौहान चंदन गुप्ता के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ. इतना ही नहीं, 25 जनवरी को चौहान ने एक यूट्यूब वीडियो जारी कर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की वकालत की थी और कहा था कि अब कासगंज सिर्फ हिंदुओं के लिए रहेगा.
फैक्ट फाइंडिंग टीम को यह भी पता चला है कि पुलिस की जनरल डायरी संख्या 29 में कहा गया है कि रैली में शामिल युवा हिंदू युवा वाहिनी के सदस्य हैं, जो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का संगठन है. पुलिस ने दोबारा जनरल डायरी संख्या 43 दर्ज की जिसमें कई मामले नजरअंदाज किए गए.
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कासगंज हिंसा पर फैक्ट फाइंडिंग टीम का दावा: UP पुलिस ने हिंदुओं को छोड़ा, मुस्लिमों पर की कार्रवाई- explosive-revelation-in-kasganj-violence-fact-finding-report
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