नई दिल्ली : वैश्विक कारोबार में बदल रहे हालात की मार झेल रहे निर्यातकों को इस बार बजट में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। निर्यातकों के लिए न केवल सस्ते और आसान कर्ज के लिए विशेष उपायों का ऐलान हो सकता है बल्कि एमएसएमई निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद के लिए विशेष फंड की स्थापना का प्रस्ताव भी आ सकता है।
बीते एक साल से निर्यातक कर्ज की कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं। खासतौर से बैंकों से मिलने वाले कर्ज की रफ्तार काफी धीमी है, जिसके चलते निर्यातकों के एक वर्ग को अपने ऑर्डर तक रद्द करने पड़े हैं। इसके बाद निर्यातकों ने इस मसले को कई बार विभिन्न मंचों से उठाया। निर्यातकों की फेडरेशन फियो के पूर्व प्रेसिडेंट गणेश कुमार गुप्ता इस मसले को लेकर काफी मुखर रहे और उन्होंने वाणिज्य और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष निर्यातकों की इस दिक्कत को रखा।सरकार भी इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है।
केंद्र में राजग की नई सरकार बनने के बाद वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल निर्यातकों की दिक्कतों को लेकर बैठक भी कर चुके हैं। बैंकों से कर्ज की समस्या को लेकर सरकार ने निर्यातकों को आश्वस्त भी किया है। निर्यातक इस मसले पर निर्यात फंड बनाने का सुझाव भी दे चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि वाणिज्य मंत्रालय ने भी वित्त मंत्रालय के साथ बजट संबंधी चर्चाओं में इस प्रस्ताव को रखा है। इस बात की भी चर्चा है कि केंद्रीय बैंक के रिजर्व फंड से मिलने वाले राशि के एक हिस्से का इस्तेमाल निर्यातकों की मदद के लिए किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक लघु व मझोले निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कराने और उनकी मार्केटिंग में मदद के लिए भी सरकार एक फंड की स्थापना कर सकती है। फियो ने इस संबंध में कुल निर्यात के 0.5 फीसद के बराबर की राशि का कोष बनाने का सुझाव अपने बजट प्रस्तावों में दिया था। फियो के प्रेसिडेंट शरद कुमार सराफ का मानना है कि इसकी मदद से एमएसएमई निर्यातक विदेशों में होने वाली प्रदर्शनियों और व्यापार शो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले पाएंगे और निर्यात क्षेत्र की समस्याओं का निदान हो सकेगा।
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बजट में मिल सकती है निर्यात फंड की सौगात, सस्ते व आसान कर्ज के लिए भी हो सकता है विशेष ऐलान
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