संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, हार-जीत के रूप में नहीं देखें, मिलकर करें मंदिर निर्माण

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्‍या जमीन विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्‍वागत किया। उन्‍होंने कहा कि अयोध्‍या जमीन विवाद के फैसले को जीत-हार के रूप में बिल्‍कुल न देखें। ये समय भरतभक्ति को और मजबूत करने का है। ये फैसला न्‍याय प्रक्रिया को और मजबूत करता है। अब अतीत को भुलाकर मिल-जुलकर मंदिर का निर्माण करता चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन का हक रामजन्मभूमि न्यास को देने का आदेश सुनाया है। मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन किसी दूसरी जगह दी जाएगी। मोहन भागवत ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह मामला दशकों से चल रहा था और यह सही निष्कर्ष पर पहुंच गया है। इसे जीत या हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हम समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए सभी के प्रयासों का भी स्वागत करते हैं।'संघ प्रमुख ने इस केस को लड़ रहे सभी वकीलों का भी धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने कहा कि हम सभी पक्षों के वकीलों का हम अभिनंदन करते हैं और बलिदानियों को प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार और आम लोगों की ओर से किए गए प्रयासों का अभिनंदन करते हैं। इस समय सभी को प्रेम और सद्भावना का संदेश देना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद निर्माण के लिए जो बात कही है, वो जमीन सरकार को देनी है। सरकार इस बात को तय करेगी कि उनको जमीन कहां देनी है। जैसा कोर्ट का निर्णय स्पष्ट था, वैसा ही मेरा मत भी साफ है। संघ क्‍या अब मथुरा और काशी के मुद्दों को उठाएगा? इस पर मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस आंदोलन शुरू करने के लिए नहीं, चरित्र-निर्माण में विश्वास रखता है।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन का हक रामजन्मभूमि न्यास को देने का आदेश सुनाया है। मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन किसी दूसरी जगह दी जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले राम चबूतरा, सीता रसोई पर हिंदुओं द्वारा पूजा की जाती थी। अभिलेखों में दर्ज साक्ष्य से पता चलता है कि हिंदुओं का विवादित भूमि के बाहरी हिस्‍से पर कब्‍जा था। मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन फैसले में कई विरोधाभास है, लिहाजा हम फैसले से संतुष्ट नहीं है।
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