2007 में वर्ल्ड कप से बाहर होने पर मीडिया ने हमें आतंकी जैसा महसूस करायाः धोनी- india's early 2007 world cup exit

टीम इंडिया के वनडे और टी20 कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 2007 वर्ल्ड कप के दौरान शुरुआती दौर से बाहर होने के बाद भारत वापसी के दौरान हुई घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उस दौरान उन्हें कैसा महसूस हो रहा था. धोनी ने बताया कि कैसे वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद खिलाड़ियों को मिल रही प्रतिक्रियाओं ने उनकी शख्सियत में बदलाव लाया.

धोनी ने कहा, ‘जब हम दिल्ली पहुंचे, वहां मीडिया का जमावड़ा था. उस वक्त, लोगों की सोच थी कि हम प्लेयर्स के बीच शुरुआती दौर में बाहर होने को लेकर संवेदना नहीं थी. मेरा हमेशा से मानना रहा है कि आपको एक खिलाड़ी के रूप में आपको हर परिस्थिति से गुजरने के लिए मजबूत होना पड़ता है.’

न्यूयॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान धोनी ने कहा, ‘यह किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर किसी विषय पर चीखने या मैदान में जो कुछ हुआ उस पर रोने जैसा नहीं है.’

वेस्टइंडीज में हुए 2007 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का प्रदर्शन खराब रहा. भारत केवल बरमूडा को हराने में कामयाब रहा जबकि बांग्लादेश और श्रीलंका से ग्रुप मुकाबले हार गया. यहां तक कि धोनी के रांची स्थित घर पर भी पत्थरबाजी हुई जबकि तब वो मकान बनने के क्रम में था.

धोनी ने आगे बताया, ‘जब हम दिल्ली में उतरे हमें पुलिस वैन में ले जाया गया. मैं वीरू पाजी के ठीक बगल में बैठा था. वो शाम या रात का वक्त था. हम 60-70 की स्पीड से जा रहे थे. यह भारत में संकरी सड़कों पर एक सामान्य स्पीड है. और आप जानते हैं, मीडिया की कारें अपने कैमरों और ऊपर लगे बड़े कैमरों के साथ हमारे साथ चल रही थीं. हमें ये लगने लगा कि हमने कोई बड़ा अपराध किया है. शायद कुछ कुछ आतंकी घटना या कत्ल जैसी वारदात को अंजाम देने जैसा. वास्तव में वो हमारा पीछा कर रहे थे. कुछ समय के बाद, हम एक पुलिस स्टेशन में पहुंचे. हम अंदर गए, कुछ देर तक वहां बैठे और फिर 15-20 मिनट के बाद अपनी गाड़ी में बैठ कर वहां से निकले.’


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