यूपी चुनाव में शिल्पकार की भूमिका निभाई है अमित शाह ने - Role of amit shah in up Election

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की और 15 साल का वनवास खत्म किया. जनसंख्या की तरह राजनीतिक स्तर पर देश के सबसे बड़े सूबे पर बीजेपी ने कब्जा जामकर न केवल केंद्र में अपनी ताकत मजबूत की बल्कि विरोधियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. इन सबके के बीच, एक चर्चा जो स्वभाविक है वो ये है कि आखिर यूपी का सीएम कौन होगा? बीजेपी किसे UP Chief Minister बनाएगी? कयासों की सुई जिस एक नाम पर ठहरती है वो है अमित शाह.

अमित शाह भाजपा के अध्यक्ष हैं. मोदी के हनुमान कहे जाते हैं. उनके मैनेजर के तौर पर देखे जाते हैं. बिहार और दिल्ली की हार के बाद यूपी की जीत एक बड़ी विजय है और इस जीत के बदले तोहफा तो बनता है. तो क्या मोदी अब अमित शाह को यूपी का सिंहासन सौंपकर उन्हें सम्मानित कर सकते हैं. जानकार मानते हैं कि इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि अमित शाह ने खुद ये कहा है कि यूपी का सीएम यहीं का कोई चेहरा बनेगा.

अमित शाह और मोदी की जोड़ी ने 2014 के बाद 2017 में एक बार फिर कमाल किया है. मौजूदा वक्त में मोदी के सबसे विश्वसनीय अमित शाह हैं. यूपी जीतने के बाद मोदी का पूरा फोकस यूपी को 2019 के लिए तैयार करने में होगा, ऐसे में अमित शाह को राज्य की कमान दी जा सकती है.

अमित शाह 2012 में पहली बार यूपी में संगठन के काम के लिए पूरी तरह से जुटे थे. कहा जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के आते-आते यूपी में शाह एक-एक इलाके, क्षेत्र, विधानसभा और संसदीय क्षेत्र से परिचित हो चुके थे. उन्होंने पूरा समीकरण बनाया. काशी से मोदी को चुनाव लड़ाने और फिर जीत आश्वस्त करने के पीछे पूरी संरचना तैयार की. यही कारण रहा कि बीजेपी यूपी में लोकसभा चुनाव में 73 सीट हासिल करने में कामयाब रही.

मोदी ही नहीं शाह भी इस जीत के भागीदार बनेंगे. इस बीच, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को एक बयान दिया- अमित शाह ने यूपी चुनाव में शिल्पकार की भूमिका निभाई है. बता दें ओबीसी और पिछड़ी जातियों के वोट को बटोरने के लिए शाह ने लगातार बसपा को कमजोर किया. एक रणनीति के तहत ही उन्होंने केशव प्रसाद मौर्या को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया, स्वामी प्रसाद मौर्या को बसपा से बीजेपी में लाए.


वर्ष 2014 में मोदी के पीएम बनते ही बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति और नेतृत्व में परिवर्तन हुआ. राजनाथ सिंह गृहमंत्री बने और पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ा. आरएसएस की मंजूरी के बाद शाह ने पार्टी प्रेसिडेंट का पद संभाला. निकाय चुनाव से लेकर महाराष्ट्र, हरियाणा, असम, यूपी, उत्तराखंड जैसे राज्यों में जीत के अलावा बंगाल, कर्नाटक जैसे राज्यों में पार्टी को मजबूत ही किया है. हालांकि, इसी बीच दिल्ली और बिहार में उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा. 25 जनवरी 2016 को शाह फिर पार्टी प्रेसिडेंट चुने गए. इस पद पर उनका कार्यकाल 2019 तक का है. ऐसे में हो सकता है कि मोदी उन्हें यूपी में पार्टी का चेहरा बनाएं.

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