बुधवार को सामने आये जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों के साथ बदसलूकी के वीडियो से पूरा देश गुस्से में था. गुरुवार को भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने इस मुद्दे पर ट्वीट के जरिये अपना गुस्सा जाहिर किया. गौतम गंभीर ने ट्वीट में लिखा कि हमारे जवान को पड़ने वाले हर चांटे पर लगभग 100 जिहादियों को मौत के घाट उतारना चाहिए. जिस किसी को भी आजादी चाहिए, वह छोड़ कर जा सकता है. कश्मीर हमारा है.
गौतम गंभीर ने अपने दूसरे ट्वीट में तिरंगे के मतलब को समझाया. गंभीर ने लिखा कि शायद एंटी-नेशनल लोग भूल गये हैं कि हमारे तिरंगे का मतलब क्या है. गंभीर ने लिखा कि केसरिया मतलब हमारे गुस्से की आग, सफेद मतलब जिहादियों के लिए कफन और हरा मतलब आतंक के लिए घृणा.
गौतम गंभीर के इस ट्वीट के बाद वीरेंद्र सहवाग ने भी इस मुद्दे पर गंभीर का साथ दिया. सहवाग ने वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा कि अब तो बदतमीजी की हद हो गई.
हाल ही में एक ओर मामला सामने आया है, जहां पर कुछ कश्मीरी युवकों सीआरपीएफ के जवान को लात मारता हुआ दिख रहा है. लेकिन फिर भी जवान ने युवक को कुछ नहीं कहा. जवान उस समय इलेक्शन ड्यूटी से वापिस लौट रहा था, जिस समय उस पर हमला बोला गया.
गौरतलब है कि श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में वोटिंग के दौरान बडगाम और श्रीनगर के दूसरे इलाकों में हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा इसमें कुछ निर्वाचन अधिकारियों सहित 36 लोग घायल भी हुए थे. इस हिंसा के कारण यहां महज 6.5 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो तीन दशक में राज्य का सबसे कम मतदान है.
गौतम गंभीर ने अपने दूसरे ट्वीट में तिरंगे के मतलब को समझाया. गंभीर ने लिखा कि शायद एंटी-नेशनल लोग भूल गये हैं कि हमारे तिरंगे का मतलब क्या है. गंभीर ने लिखा कि केसरिया मतलब हमारे गुस्से की आग, सफेद मतलब जिहादियों के लिए कफन और हरा मतलब आतंक के लिए घृणा.
गौतम गंभीर के इस ट्वीट के बाद वीरेंद्र सहवाग ने भी इस मुद्दे पर गंभीर का साथ दिया. सहवाग ने वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा कि अब तो बदतमीजी की हद हो गई.
हाल ही में एक ओर मामला सामने आया है, जहां पर कुछ कश्मीरी युवकों सीआरपीएफ के जवान को लात मारता हुआ दिख रहा है. लेकिन फिर भी जवान ने युवक को कुछ नहीं कहा. जवान उस समय इलेक्शन ड्यूटी से वापिस लौट रहा था, जिस समय उस पर हमला बोला गया.
गौरतलब है कि श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में वोटिंग के दौरान बडगाम और श्रीनगर के दूसरे इलाकों में हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा इसमें कुछ निर्वाचन अधिकारियों सहित 36 लोग घायल भी हुए थे. इस हिंसा के कारण यहां महज 6.5 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो तीन दशक में राज्य का सबसे कम मतदान है.
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